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This Article is From Mar 05, 2019

क्या प्रियंका गांधी के दम पर कांग्रेस तय कर पाएगी इलाहाबाद से प्रयागराज की दूरी?

पूर्वी उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ की सीट छोड़कर सारी सीटें बीजेपी-एनडीए के पास हैं. प्रियंका के आने के बाद से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में अच्छा-खासा उत्साह देखा जा रहा है.

क्या प्रियंका गांधी के दम पर कांग्रेस तय कर पाएगी इलाहाबाद से प्रयागराज की दूरी?
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद अब प्रयागराज सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी. इस सीट से लाल बहादुर शास्त्री, हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह और अमिताभ बच्चन और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज यहां से सांसद रह चुके हैं. आपको बता दें कि पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को चार-चार प्रधानमंत्री दिए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के श्याम चरण गुप्ता जीते थे. लोगों का कहना है कि उनकी जीत में 'मोदी लहर' का बहुत बड़ा हाथ रहा है. श्यामा चरण गुप्ता को पिछली  बार यहां पर 313772 वोट मिले थे. वहीं सपा प्रत्याशी कुंवर रेवती रमण को 251763 वोट मिले थे. बीएसपी तीसरे और कांग्रेस यहां पर चौथे नंबर थी. आपको बता दें कि प्रयागराज से सटी सीट फूलपुर ऐसी पहली जगह थी जहां पर सबसे पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी की जगह पर प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस की कमान देने की बात उठाई थी. फूलपुर सीट से पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद बने थे. अब प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस में महासचिव हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान उनके हाथ में हैं.

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पूर्वी उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ की सीट छोड़कर सारी सीटें बीजेपी-एनडीए के पास हैं. प्रियंका के आने के बाद से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में अच्छा-खासा उत्साह देखा जा रहा है. ऐसे में पार्टी अगर इलाहाबाद से प्रियंका गांधी को उतारने का फैसला करती है तो हो सकता है इसका असर पूर्वांचल की बाकी सीटों पर पड़े.

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बीएसपी के साथ हुए गठबंधन के बाद इलाहाबाद सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है और समाजवादी पार्टी यहां मजबूत स्थिति में हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में सपा यहां पर दूसरे नंबर थी और साल 2009 के चुनाव सपा ने बीजेपी के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को हरा दिया था. फिलहाल देखने वाली बात क्या कांग्रेस अपने पुराने में गढ़ में अपने 'ट्रंप कार्ड' प्रियंका गांधी को उतारती है या नहीं और इसका कितना असर पड़ेगा. 

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