
- लखनऊ बैंक फर्जीवाड़े में कोर्ट ने तीन दोषियों को तीन साल की सजा सुनाई है.
- दोषियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, न चुकाने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा होगी.
- फर्जी दस्तावेजों से 3.20 करोड़ रुपये का नुकसान बैंक को हुआ था.
- मुख्य आरोपी अमरनाथ साहू की केस के दौरान मौत हो गई थी.
लखनऊ के जानकीपुरम इलाके के इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) में 2003 से 2005 के बीच फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए लोन और ओवरड्राफ्ट जारी करने के एक पुराने मामले में कोर्ट (Lucknow Bank Fraud Case) ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस घोटाले में शामिल तीन दोषियों को 3 साल की सजा सुनाई गई है. उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना नहीं भरा तो 6 महीने की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी.
फर्जी दस्तावेजों से लोन, ओवरड्राफ्ट किए जारी
इस मामले की शुरुआत बैंक के पूर्व मैनेजर अमरनाथ साहू की भूमिका से हुई थी, जो उस वक्त जानकीपुरम ब्रांच में तैनात थे. आरोप लगा था कि अमरनाथ साहू ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन और ओवरड्राफ्ट जारी किए, जिससे बैंक को करीब 3.20 करोड़ का नुकसान हुआ था. मामले की जांच पहले बैंक के आंतरिक स्तर पर हुई, फिर सीबीआई को सौंप दी गई.
बैंक फ्रॉड के 3 आरोपियों को जेल की सजा
हालांकि, मुख्य आरोपी अमरनाथ साहू की केस के दौरान मौत हो गई, जिस वजह से उनके खिलाफ मामला खत्म कर दिया गया. लेकिन बाकी तीन आरोपी, सौरभ साहू, अश्विनी कुमार और ममता सिन्हा को सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया और 30 जून 2025 को सजा सुनाई.कोर्ट ने फैसले के दौरान यह भी आदेश दिया कि इन आरोपियों की 16,42,248 रुपये दो अचल संपत्तियां जब्त की जाएंगी.
यह मामला यह दिखाता है कि अगर बैंकिंग सिस्टम में कोई गड़बड़ी करता है, तो कानून उसे बख्शता नहीं है भले ही फैसले में वक्त क्यों न लग जाए. लेकिन दोषियों को सजा मिलकर रहती है.
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