
लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सियासी दलों में उठापटक शुरू हो गई है. एक तरफ नेता पाला बदल रहे हैं, तो टिकट को लेकर असंतोष भी दिख रहा है. ताजा मामला ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़ा है. तृणमूल कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर असंतोष उभर गया है. लोकसभा चुनाव के लिए जब तृणमूल ने अपने 42 उम्मीदवारों की सूची जारी की तब पार्टी में असंतोष के स्वर भी उठने लगे. इस सूची में कूचबेहार, बशीरहाट, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, बोलपुर, विष्णुपुर और कृष्णनगर लोकसभा सीटों के वर्तमान सांसदों के नाम नहीं हैं. इन सीटों पर तृणमूल के स्थानीय नेतृत्व में मची कलह का भाजपा ने पिछले पांच साल में जम कर फायदा उठाते हुए अपने लिए रास्ते बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कुछ सीटों पर तृणमूल पार्टी ने अपने पुराने नेताओं की उपेक्षा की और नौसिखियों, फिल्मी सितारों तथा कांग्रेस एवं वाम दलों से आए लोगों को प्रमुखता दी.
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सांसद सौमित्र खान, सांसद अनुपम हाजरा और चार बार विधायक रहे वरिष्ठ तृणमूल नेता अर्जुन सिंह भाजपा का दामन थाम चुके हैं. भगवा दल के नेताओं का दावा है कि आने वाले कुछ दिनों में कई तृणमूल विधायक और अन्य नेता भाजपा में शामिल होंगे. तृणमूल के दक्षिण दिनाजपुर जिला प्रमुख बिप्लव मित्रा बेलुरघाट लोकसभा सीट से अर्पिता घोष को दोबारा टिकट दिए जाने पर अपनी नाराजगी खुल कर जाहिर कर चुके हैं. मित्रा ने कहा ‘मैं पार्टी को बता चुका था कि बेलुरघाट के लोग अर्पिता के कामकाज से खुश नहीं हैं. इस बार उनकी जीत की कोई गारंटी नहीं है. कई योग्य नेता हैं. अगर उन्हें टिकट मिलता तो हम जीत जाते. (इनपुट-भाषा से भी)
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