28 मार्च की सुबह अचानक मोबाइल की घंटी बजी और दूसरी तरफ से कहा गया कि महाराजगंज से आप चुनाव लड़ने की तैयारी करें. दस मिनट की इस फोन कॉल ने जानी मानी बिजनेस एडीटर सुप्रिया श्रीनेत को नेता बना दिया. आज वो महाराजगंज से कांग्रेसी प्रत्याशी के तौर पर परतापुर कस्बे में घर घर वोट मांग रही है. सुप्रिया के साथ चंद कांग्रेसी नेता और उनके पिता के भरोसेमंद लोगों के अलावा कुर्ता पैजामा पहने पानी की बोतल साथ लेकर खामोशी से चल रहे धीरेंद्र हैं.जो एक फाइनेंस कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट हैं लेकिन दिल्ली छोड़कर अपनी पत्नी सुप्रिया के साथ गांव, खेत, खलिहान की खाक छान रहे हैं. पहले इस सीट पर कांग्रेस ने बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री को टिकट दिया थी लेकिन रातो रात उनका टिकट काट कर सुप्रिया को लड़ाने का फैसला किया.
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सुप्रिया श्रीनेत के राजनीति में आने के इस रोमांच के पीछे उनके परिवार का एक दुखद पहलू भी छिपा है. सुप्रिया श्रीनेत महाराजगंज के दिग्गज नेता और दो बार के सांसद हर्षवर्द्धन सिंह की बेटी हैं. 2014 में पहले सुप्रिया की मां की मौत हुई 2015 में सुप्रिया के भाई और सियासी वारिस राज्य वर्द्धन सिंह की मौत हो गई. परिवार इस बड़े संकट से उबर पाता कि 2016 में खुद हर्षवर्धन सिंह की मौत हो गई. तीन साल में परिवार के तीन लोगों की मौत के बाद हर्षवर्द्धन सिंह की सियासी विरासत को अब सुप्रिया ने आगे बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि उनके सामने बड़ी दिक्कत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करना और लोगों के भीतर यह उम्मीद पैदा करना है कि वो लोकसभा चुनाव की मजबूत प्रत्याशी हैं.
महाराजगंज की लड़ाई के सियासी समीकरण
महाराजगंज की सियासी लड़ाई में दो दिग्गजों के बीच सुप्रिया श्रीनेत कम अनुभवी प्रत्याशी हैं. महाराजगंज की सीट पर प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला सवर्ण वोटर करता है. इसी के चलते बीजेपी के निवर्तमान सांसद पंकज चौधरी पांच बार से सांसद बन रहे हैं. इस बार उनके सामने गठबंधन के कुंवर अखिलेश सिंह और कांग्रेस की सुप्रिया हैं. हालांकि पिछली बार बीजेपी के पंकज चौधरी ने दो लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार उनका विरोध ब्राहमणों का एक खेमा कर रहा है. गठबंधन ने एक बार फिर अपने पुराने सिपहसलार कुंवर अखिलेश पर दांव खेला है लेकिन उनकी बाहुबली छवि के चलते आम जनता में उनके प्रति हिचकिचाहट दिखाई दे रहा है. फिलहाल दिल्ली की चकाचौंध छोड़कर जोगियाबारी में आम के बगीचे से घिरे अपने पुश्तैनी घर और पुराने वफादरों के दम पर सुप्रिया श्रीनेत सियासी लड़ाई लड़ रही हैं. लेकिन उनके पुराने वफादार संतराम चौधरी कहते हैं कि अगर साल डेढ़ साल पहले बहन जी महाराजगंज की राजनीति में सक्रिय होती तो नतीजा दूसरा होता. खैर महाराजगंज की इस सीट पर अभी सुप्रिया श्रीनेत का सियासी रास्ते आसान नहीं है.
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