हार के बाद राजस्थान में आंतरिक संकट से जूझ रही कांग्रेस, गहलोत सरकार के मंत्री के इस्तीफे की अटकलें

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस आंतरिक संकट से जूझ रही है. राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश के नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

खास बातें

  • लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में मंथन
  • राजस्थान में नेतृत्व पर उठे कई सवाल
  • राजस्थान में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली
जयपुर:

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस आंतरिक संकट से जूझ रही है. हार के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी कर चुके हैं, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ. इन सबके बीच राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश के नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. राहुल गांधी की कथित टिप्पणी की वो कई जगह नहीं चाहते थे की मुख्यमंत्री के बेटे चुनाव लड़े को गहलोत की तरफ़ इशारा माना जा रहा है. अशोक गहलोत के बेटे वैभव ने जोधपुर से चुनाव लड़ा, जहां से ख़ुद मुख्यमंत्री विधायक हैं और पांच बार MLA रह चुके हैं. हालांकि वैभव दो लाख से ज़्यादा मतों से हार गए और अपने पिता के गृह क्षेत्र सरदारपुर से भी अठारह हज़ार वोटों से पिछड़ गए. लेकिन दिल्ली में अशोक गहलोत सफाई देते नज़र आए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अगर कुछ कहा है ग़लत हुआ है तो वो उनका हक़ है.

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उन्होंने कहा कि यह पार्टी के अंदरूनी मामले होते हैं और राहुल गांधी जी को अधिकार है कहने का, क्योंकि वह हमारे कांग्रेस अध्यक्ष हैं. उनको सब अधिकार है कि किस नेता की कहां कमी रही कैंपेन के अंदर, किस नेता की कहा निर्णय में कमी रही वो ऐसे वक्त में जब पोस्टमार्टम हो रहा है तो स्वाभाविक है कि वह कमियां बताएंगे. हम लोगों ने उसपर डिस्कशन भी किए हैं. उधर, कांग्रेस की गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. गहलोत के करीबी मंत्री ने सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा भेज दिया है और वो अब लापता बताये जा रहे हैं. दो और मंत्रियो ने राजस्थान में हार के आंकलन की बात कही है. 

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लेकिन उन्हीं की कैबिनेट के कुछ मंत्रियों ने भी राय दी है कि वैभव को जोधपुर से नहीं पड़ोस के जलोरे से चुनाव लड़ना चाहिए था. दूसरे और मंत्री ये भी मानते हैं अकेले गहलोत नहीं पूरा प्रदेश नेतृत्व हार की ज़िम्मेदारी ले. हार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की अकेले की नहीं, सबकी ज़िम्मेदारी है.

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राजस्थान में कांग्रेस सिर्फ़ 25 लोकसभा सीटें ही नहीं हारी है, विधान सभा के 200 विधानसभा क्षेत्रों में से 185 पर लीड भी नहीं ले पायी है. अगर गहलोत की सीट सरदारपुर से वैभव 18000 मतों से पिछड़े हैं तो टोंक में सचिन पाइलट भी कांग्रेस उम्मीदवार को 22000 की मात से नहीं बचा पाए. 

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