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This Article is From Mar 29, 2019

प्रियंका गांधी का यह बयान किसके लिए हो सकती है 'खतरे की घंटी', सपा-बसपा या बीजेपी

कांग्रेस को 2017 में अमेठी के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में हार मिली थी. चार सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

प्रियंका गांधी का यह बयान किसके लिए हो सकती है 'खतरे की घंटी', सपा-बसपा या बीजेपी
कांग्रेस महासचिव उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से कमान संभाल चुकी हैं.
नई दिल्ली:

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी  के एक बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन मीटिंग शुरू करने से कुछ ही घंटों पहले उन्होंने कार्यकर्ताओं से उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने को कहा है.  इससे पहले प्रियंका ने अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी के जिला मुख्यालय गौरीगंज के पास पास एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं से सवाल पूछकर उनको चकित कर दिया. उन्होंने पार्टी के एक कार्यकर्ता से पूछा, "क्या आप चुनाव की तैयारी कर रहे हैं? मैं 2019 की नहीं, बल्कि 2022 की बात कर रही हूं." उनके इस बयान से प्रदेश के लिए कांग्रेस की योजना और प्रियंका को वहां लाने की वजह का संकेत मिलता है.  राहुल गांधी ने उनको 23 जनवरी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी नियुक्त करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "उन्हें यहां चार महीने के लिए नहीं भेजा गया है. उनको यहां बड़ी योजना के साथ भेजा गया है। हम न सिर्फ 2019 में भाजपा को शिकस्त देंगे, बल्कि 2022 का चुनाव जीतेंगे."

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कांग्रेस को 2017 में अमेठी के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में हार मिली थी. चार सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन में कांग्रेस को अपमान का घूंट पीना पड़ा रहा है. इस गठबंधन में पार्टी को एक तरह से सिर्फ दो ही सीटें दी गई जिसमें अमेठी और रायबरेली थीं. इसके बाद कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस की रणनीति है कि उन सीटों पर ज्यादा फोकस किया जाए जिन पर दलित मतदाताओं प्रभावी हैं. कांग्रेस नेताओं ने करीब 40 ऐसी सीटों को चिन्हित किया है जहां दलित मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से ज्यादा है. इनमें 17 आरक्षित सीटें भी शामिल हैं. दरअसल दलित मतदाता इंदिरा गांधी के समय कभी कांग्रेस का कोर वोटर हुआ करते थे लेकिन बाद में बीएसपी ने उस पर कब्जा जमा लिया. कांग्रेस की सीधी कोशिश अब अपने पुराने वोट बैंक खासकर दलित और सवर्णों खासकर ब्राह्मणों को अपने पाले करने की है. वहीं कांग्रेस की रणनीति अब मुस्लिम वोट बैंक पर भी कब्जा जमाने की है. इसी रणनीति के तहत राहुल गांधी वादा करते हैं कि सत्ता में आने पर ट्रिपल तलाक अध्यादेश को खत्म कर देंगे.

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कुल मिलाकर कांग्रेस ने अब फैसला कर लिया है कि अब वह उत्तर प्रदेश में अपने बूते खड़े होगी और उसकी नजर अब 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है जिसमें कांग्रेस की हैसियत बीजेपी, सपा और बसपा के काफी कम करके आंकी जाती रही है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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