पश्चिम बंगाल में तीसरे मोर्चे की दुविधा ख़ासी तीखी है. ममता बनर्जी ने सभी 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जबकि लेफ़्ट और कांग्रेस के बीच मोलतोल अभी जारी है. बेशक, इस सहमति के साथ कि वो बीजेपी विरोधी वोट बंटने नहीं देंगे. हालांकि इस बातचीत के बीच लेफ़्ट फ्रंट ने शुक्रवार को 25 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी.
कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत के बीच कोलकाता में शुक्रवार को लेफ़्ट फ्रंट ने अपने 25 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया. साथ ही लेफ़्ट को ममता और बीजेपी दोनों से मुकाबले के लिए कांग्रेस का साथ ज़रूरी लग रहा है, लेकिन मामला सीटों पर फंसा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल कांग्रेस 42 में से 18 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी. सीपीएम ने कांग्रेस को 11 सीटें देने की पेशकश की है. दोनों पार्टियों की जीती हुई छह सीटों पर पहले ही समझौता हो चुका है. वहां एक-दूसरे के ख़िलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे जाएंगे.
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लेकिन कांग्रेस और लेफ़्ट दोनों इस कोशिश में हैं कि अपना हिस्सा बरकरार रखते हुए बीजेपी और तृणमूल विरोधी वोट बंटने न दिए जाएं. एनडीटीवी से खास बातचीत में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा - किसी औपचारिक गठबंधन की बात नहीं है. सीताराम येचुरी ने कहा, "पश्चिम बंगाल में हमारी रणनीति होगी कि एंटी बीजेपी, एंटी तृणमूल वोटो को ज्यादा बंटवारा ना हो. अभी कोई गठबंधन की बात नहीं है. कोशिश पूरे देश में मोदी को हटाने के लिए रणनीति बनाने की है.
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कांग्रेस का भी दावा है कि बातचीत सही दिशा में चल रही है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एनडीटीवी से कहा, "कुछ वक्त में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा. देश के कई राज्यों में गठबंधन की बात लगभग पूरी हो चुकी है या चल रही है. जब स्पष्टता आएगी तो डिटेल आपके सामने आएगा.' येचुरी के बयान पर उन्होंने कहा, 'हम वो को एक ही तरह से देखते हैं, प्रो इंडिया वोट. हमें विश्वास है कि प्रो इंडिया वो एक ही जगह पड़ेगा.
दरअसल पश्चिम बंगाल विपक्ष की एकता की सीमा का एक टेस्ट केस बन चुका है. हर सीट पर कांग्रेस और लेफ्ट को तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ना होगा जिससे बीजेपी के खिलाफ साझा मोर्चा खोलने की विपक्ष की कवायद कमज़ोर होगी.
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