Arvinder Singh Lovely: कांग्रेस का हाथ छोड़ थामा था बीजेपी का साथ, फिर की घर वापसी, जानिए लवली का सियासी सफर

अरविंदर सिंह लवली ने 1987 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वे तीन बार विधायक रहने के अलावा दिल्ली सरकार में अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं.

Arvinder Singh Lovely: कांग्रेस का हाथ छोड़ थामा था बीजेपी का साथ, फिर की घर वापसी, जानिए लवली का सियासी सफर

अरविंदर सिंह लवली शीला सरकार में शिक्षा मंत्री और पर्यटन मंत्री भी रह चुके हैं.

खास बातें

  • अरविंदर सिंह लवली 1998 में पहली बार विधानसभा पहुंचे.
  • 2013 में आप के प्रकाश जारवाल के सामने विधानसभा चुनाव हार गए.
  • 2015 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हो गए थे शामिल.

अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh lovely) एक युवा राजनेता हैं. उनकी गिनती दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) के सबसे ज्यादा करीबियों में होती है. शीला सरकार में वह वह तीन बार विधायक रहने के साथ-साथ मंत्री भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. शीला दीक्षित  की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने पब्लिक स्कूलों में कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण शुरू करने की पहल की थी. बीच में वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में भी शामिल हो गए थे. फिलहाल उनकी पुन: वापसी हो गई है और  इस बार के लोकसभा चुनाव में लवली पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी की आतिशी मार्लेना और बीजेपी के उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर से है. 

अरविंदर सिंह का जन्म लुधियाना में 11 दिसंबर 1968 को हुआ. उनके पिता का नाम बलविंदर सिंह है. लवली ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया है. कॉलेज के दिनों में ही उनके राजनीतिक करियर की नींव पड़ी. 1987 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के महासचिव का पद संभाला. बाद में उन्हें पूर्व जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. 

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1998 में पहली बार अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh lovely) गांधीनगर सीट से दिल्ली विधानसभा पहुंचे. उस समय वे दिल्ली विधानसभा के सबसे युवा सदस्य थे. साल 2000 में उन्हें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति का महासचिव बनाया गया. 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में भी बड़े अंतर से लवली ने जीत दर्ज की. 2003 में पहली बार उन्हें शीला दीक्षित के कैबिनेट में जगह मिली. 2013 विधानसभा चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी के प्रकाश जारवाल के सामने हार का मुंह देखना पड़ा. 

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पर्यटन मंत्री के रूप में, लवली ने दिल्ली को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कई पहल कीं. उन्होंने कुतुब महोत्सव, भक्ति महोत्सव, अनन्या महोत्सव, शरद उत्सव, उद्यान पर्यटन महोत्सव और मैंगो महोत्सव जैसे उत्सवों का आयोजन किया. लवली ने शिक्षा विभाग को भी संभाला. उन्हीं के समय में दिल्ली के अधिकांश स्कूलों का कम्यूटरीकरण किया गया. दिल्ली को सभी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करने वाला भारत का पहला राज्य बनाने का श्रेय उन्हीं को जाता है.

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साल 2017 में दिल्ली में नगर निगम के चुनाव के वक्त अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी (BJP) का दामन थामकर सबको चौंका दिया था. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के लिए  इलाके में प्रचार कर वोट की अपील भी की थी. हालांकि करीब 10-12 महीने बाद वह वापस बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आ गए थे. 2019 के लोकसभा चुनावों में अब वे पूर्वी दिल्ली से चुनावी मैदान में हैं.