सोलहवीं लोकसभा में पेश 273 विधेयकों में से 240 विधेयक पारित हुए जबकि 23 लंबित रह गये. चुनाव निगरानी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स' (एडीआर) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी.रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली के सात सांसदों की सर्वाधिक औसत उपस्थिति रही और उन्होंने औसतन 312 बैठकों में से 289 में हिस्सा लिया.कुल मिलाकर सांसदों ने औसतन 251 सवाल पूछे तथा 312 बैठकों में से 221 में भाग लिया.नागालैंड के दो सांसदों ने औसत 88 बैठकों में भाग लिया जो बीते पांच साल में सबसे कम है.महाराष्ट्र के बारामती से राकांपा की सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में सर्वाधिक 1181 सवाल पूछे.
संसद में तमाम सांसदों की कम उपस्थिति पर भी सवाल उठते रहे हैं. वर्ष 2017 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसदीय सत्रों में कामकाज के दिनों की संख्या कम होते जाने पर चिंता जताते हुए कहा था कि ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जो सांसदों के लिए कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को अनिवार्य बनाए. येचुरी ने कहा था कि ऐसा करने पर ही सरकार की जवाबदेही तय होगी.कम्युनिस्ट नेता ने कहा था कि संसदीय कार्यवाहियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो.उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 60—70 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी. ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी? उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है.
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