विज्ञापन
This Article is From Aug 23, 2017

मूल्यों को खुद जीने वाले कवि थे त्रिलोचन : रामदरश मिश्र

प्रसिद्ध आलोचक सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि त्रिलोचन जी को समझने के लिए उनके रचना संसार को समझना जरूरी है. आगे उन्होंने कहा कि निराला के बाद लघुमानव को प्रतिष्ठित करने वाले त्रिलोचन ही थे. उन्होंने त्रिलोचन के कहे शब्दों से उदाहरण देते हुए कहा कि वे आम बोलचाल की भाषा को जीवित भाषा कहते थे और हमेशा उसी को प्रस्तुत करते थे. वह सही मायनों में जन चेतना के कवि थे.

मूल्यों को खुद जीने वाले कवि थे त्रिलोचन : रामदरश मिश्र
'त्रिलोचन पर बहुत कम लिखा गया है, इसलिए उनको एक बार फिर जानने समझने के प्रयास किए जाने की जरूरत है.' यह बात प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह ने साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित त्रिलोचन जन्मशतवार्षिकी के उद्घाटन वक्तव्य में कहे. उन्होंने उनको अपने गुरु के रूप में याद करते हुए उनके साथ बिताए दिनों को याद करते हुए कहा, "त्रिलोचन पूरी तरह से बनारस के थे और आजीवन बनारस को अपने से विलग नहीं कर पाए. उनके द्वारा लिखे गए सोनेट के विभिन्न उदाहरणों से उन्होंने स्पष्ट किया कि वे केवल सोनेट नहीं, बल्कि अनेक छंदों में लिखते रहे. लेकिन उनकी पहचान सोनेट लेखक के रूप में ही लोगों की स्मृतियों में है. केदारजी ने उनके घोर यंत्रणापूर्ण जीवन की चर्चा करते हुए कहा कि वे अपना कष्ट कभी भी स्वीकार नहीं करते थे."

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि रामदरश मिश्र ने कहा, "त्रिलोचन जी मूल्यों को खुद जीने वाले कवि थे. उनके अंदर अहंकार नहीं था, लेकिन वे स्वाभिमान के पक्के थे. अच्छी कविता सीधी भाषा में हो सकती है यह मैंने उन्हीं से सीखा और अपनी काव्य भाषा में सुधार किया. वह एक किंवदंती पुरुष थे और उन्होंने समाज को जोड़ने के लिए कविताएं लिखीं."
 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध आलोचक सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि त्रिलोचन जी को समझने के लिए उनके रचना संसार को समझना जरूरी है. आगे उन्होंने कहा कि निराला के बाद लघुमानव को प्रतिष्ठित करने वाले त्रिलोचन ही थे. उन्होंने त्रिलोचन के कहे शब्दों से उदाहरण देते हुए कहा कि वे आम बोलचाल की भाषा को जीवित भाषा कहते थे और हमेशा उसी को प्रस्तुत करते थे. वह सही मायनों में जन चेतना के कवि थे.

इससे पहले सभी का स्वागत करते हुए अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने कहा, "त्रिलोचन का काव्य भारतीय कविता को आभा प्रदान करता है और वे असली जन-जीवन को उकरने वाले लोक कवि है. उनका लोक इतना समृद्ध है कि वह शास्त्र का दर्जा पा लेता है. कार्यक्रम के आरंभ में त्रिलोचन पर साहित्य अकादेमी द्वारा निर्मित वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया, जिसका निर्देशन सत्यप्रकाश गुप्ता ने किया है."

कार्यक्रम का दूसरा सत्र त्रिलोचन के काव्य और उसका सौंदर्यबोध विषय पर केंद्रित था जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात कवि अष्टभुजा शुक्ल ने की. इस सत्र में अरविंद त्रिपाठी ने त्रिलोचन को सच्चे अर्थों में भारतीय कवि बताते हुए कहा कि उनकी कविता बोलती कम और कहती ज्यादा है.

उनकी कविता में एक देशी आधुनिकता थी. प्रख्यात आलोचक तरुण कुमार ने उनके नैसर्गिक विवरण को इतना समृद्ध कहा कि वह सौंदर्य वर्णन बन जाता है. उन्होंने कहा कि उनकी प्रेम कविताओं पर भी चर्चा होनी चाहिए.

गोविंद प्रसाद ने कहा कि वे कर्म की भाषा के कवि है और कविता ही उनका ओढ़ना-बिछौना है. इसीलिए उनकी कविताओं में सादगी दिखलाई देती है.

अष्टभुजा शुक्ल ने सत्र के अध्यक्ष के रूप में कहा कि त्रिलोचन की कविता समूह के सोच की कविता है और जैसी सादगी त्रिलोचन में थी वैसे ही उनके कविता के चरित्रों में भी हैं. उनका सौंदर्यबोध भारत के आम व्यक्तियों का ही सौंदर्यबोध है.
जन्मशतवार्षिकी के दूसरे दिन को त्रिलोचन के गद्य, स्मृति में त्रिलोचन और त्रिलोचन के साहित्यिक अवदान पर तीन सत्रों का आयोजन होगा, जिसमें विश्वनाथ त्रिपाठी, अनामिका, नंदकिशोर पांडेय, कौशलनाथ उपाध्याय, आनंदप्रकाश त्रिपाठी, रामकुमार 'कृषक', करुणाशंकर उपाध्याय, अमितप्रकाश सिंह आदि वक्ता अपने विचार प्रस्तुत करेंगे.

न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
 
गुलमोहर की और खबरों के लिए क्लिक करें


(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com