
Munawwar Rana ki Shayri: मुनव्वर राना एक फेमस शायर थे, उनकी शायरियां खूब पसंद की जाती है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्में मुनव्वर उर्दू भाषा के साहित्यकार थे. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. इनके द्वारा रचित एक कविता शाहदाबा के लिए उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. भारत-पाकिस्तान बंटवारें के बाद उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए. लेकिन मुनव्वर राना के पिता ने अपने देश में रहना चुना. उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता से हुई. राना ने गजलों के अलावा उनकी कई रचनाएं है. मुनव्वर राना उर्दू अदब के एक जाना-पहचाना नाम हैं, पेश हैं उनके लिखे बेहतरीन शेर.
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें
टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी
एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते
सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
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