रस्किन बांड
जाने-माने लेखक रस्किन बॉन्ड को साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए टाइम्स लिट् फेस्ट में 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से नवाजा गया. इस पुरस्कार को पाने के बाद बॉन्ड ने लेखिका पारो आनंद से बातचीत में अपने कम उम्र के पाठकों को जलवायु परिवर्तन की याद दिलाई.
बॉन्ड ने सोचने के लिए कुछ पल रुकने के बाद कहा, "प्रकृति वास्तव में मुझ पर मेहरबान रही है. इसलिए मैं सोचता हूं कि इसका उत्सव मनाकर मैं उसे वह लौटा सकता हूं. मैं कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं, लेकिन मैं इसका जश्न अपने लेखन में मना सकता हूं."
उन्होंने कहा, "अपने बच्चों और उनके बच्चों के वास्ते हमें इस भूमंडल को बचाने की कोशिश करनी चाहिए."
बॉन्ड यहां स्कूली बच्चों से उम्र दराज लोगों तक से भरे इंडिया हैबिटेट सेंटर के सभाकक्ष में बोल रहे थे.
इस अवसर पर भावुक नजर आ रहे बॉन्ड ने कहा, "मैं निराशावादी नहीं हूं, इसलिए मैं नहीं कहूंगा कि जीवन 50 वर्षों में समाप्त हो जाएगा. मैं आशावादी हूं इसलिए मैं कहूंगा कि जीवन 150 वर्षो में समाप्त हो सकता है."
बॉन्ड के लेखन में प्रकृति से उनकी निकटता की झलक मिलती है.
उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा से देखा है कि जब मैं प्रकृति की गोद में रहा हूं, बेहतर लिखा हूं. लोग मेरी कहानियों में हैं, जानवर मेरी कहानियों में हैं. जब मैं लोगों और पशुओं से दूर भागा हूं तो मैंने भूत-प्रेत की कहानियां लिखी हैं, लेकिन इन सब में प्रकृति का तत्व जरूर है."
उन्होंने कम उम्र के अपने पाठकों को पुस्तकों को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाने और अधिक से अधिक पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी.
उन्होंने कहा, "पुस्तकें पढ़ने की आदत ने मुझे कम उम्र के एक लड़के से लेकर इस उम्र तक हमेशा मुझे यह महसूस कराया कि जीवन सुंदर है."
बॉन्ड ने समारोह में उपस्थित युवा पाठकों के सवालों के जवाब दिए और देश में बाल साहित्य की मौजूदा स्थिति से लेकर कितनी बार पहली नजर में या दूसरी नजर में उन्हें प्यार हुआ, या जब ऐसा हुआ तो क्या हुआ इस तरह के विभिन्न मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए.
बॉन्ड ने सोचने के लिए कुछ पल रुकने के बाद कहा, "प्रकृति वास्तव में मुझ पर मेहरबान रही है. इसलिए मैं सोचता हूं कि इसका उत्सव मनाकर मैं उसे वह लौटा सकता हूं. मैं कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं, लेकिन मैं इसका जश्न अपने लेखन में मना सकता हूं."
उन्होंने कहा, "अपने बच्चों और उनके बच्चों के वास्ते हमें इस भूमंडल को बचाने की कोशिश करनी चाहिए."
बॉन्ड यहां स्कूली बच्चों से उम्र दराज लोगों तक से भरे इंडिया हैबिटेट सेंटर के सभाकक्ष में बोल रहे थे.
इस अवसर पर भावुक नजर आ रहे बॉन्ड ने कहा, "मैं निराशावादी नहीं हूं, इसलिए मैं नहीं कहूंगा कि जीवन 50 वर्षों में समाप्त हो जाएगा. मैं आशावादी हूं इसलिए मैं कहूंगा कि जीवन 150 वर्षो में समाप्त हो सकता है."
बॉन्ड के लेखन में प्रकृति से उनकी निकटता की झलक मिलती है.
उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा से देखा है कि जब मैं प्रकृति की गोद में रहा हूं, बेहतर लिखा हूं. लोग मेरी कहानियों में हैं, जानवर मेरी कहानियों में हैं. जब मैं लोगों और पशुओं से दूर भागा हूं तो मैंने भूत-प्रेत की कहानियां लिखी हैं, लेकिन इन सब में प्रकृति का तत्व जरूर है."
उन्होंने कम उम्र के अपने पाठकों को पुस्तकों को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाने और अधिक से अधिक पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी.
उन्होंने कहा, "पुस्तकें पढ़ने की आदत ने मुझे कम उम्र के एक लड़के से लेकर इस उम्र तक हमेशा मुझे यह महसूस कराया कि जीवन सुंदर है."
बॉन्ड ने समारोह में उपस्थित युवा पाठकों के सवालों के जवाब दिए और देश में बाल साहित्य की मौजूदा स्थिति से लेकर कितनी बार पहली नजर में या दूसरी नजर में उन्हें प्यार हुआ, या जब ऐसा हुआ तो क्या हुआ इस तरह के विभिन्न मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए.
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