नई दिल्ली:
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और नेशनल बुक ट्रस्ट के संपादक पंकज चतुर्वेदी और पेशे से चिकित्सक डॉ. प्रदीप शुक्ल को वर्ष 2016 के लिये हरिकृष्ण देवसरे बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. चतुर्वेदी को उनकी किताब ‘बेलगाम घोड़ा’ जबकि लखनउ के डॉ. शुक्ल को बाल कविताओं की उनकी किताब ‘गुल्लु का गांव’ के लिये यह पुरस्कार दिया गया.
प्रसिद्ध बाल साहित्यकार हरिकृष्ण देवसरे के नाम पर गठित यह पुरस्कार हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य न्यास पिछले तीन वषरें से देश के चोटी के बाल साहित्यकारों को देता रहा है. दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में पिछले सात दशकों से भी अधिक समय से बाल साहित्य से जुड़ी शांति अग्रवाल और बालकराम नागर को भी सम्मानित किया गया. बालस्वरूप राही, नरेन्द्र सहगल और डॉ. विभा देवसरे ने इन वयोवृद्ध साहित्यकारों को सम्मानित किया.
इस अवसर पर बाल स्वरुप राही ने बाल रचनाओं की लेखन प्रक्रिया, उसके प्रभाव आदि की बारीकियों को समझाया. नरेन्द्र सहगल ने बाल साहित्य में विजन की अनिवार्यता और प्रयोगों पर विमर्श किया. सम्मान प्राप्त करने के बाद पंकज चतुर्वेदी ने बाल साहित्य में राजा-रानी के स्थान पर लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना, उसके पात्रों में विधायक, सरपंच या कलेक्टर की भूमिका को प्राथमिकता देने की जरूरत बतायी.
उन्होंने अनुरोध किया कि बाल साहित्यकार मुफ्त में लिखना बंद करें तभी इस विधा को सम्मान और पहचान मिलेगी. न्यास ने इस अवसर पर देवसरे बाल साहित्य समाचार पत्र निकालने की घोषणा भी की.
प्रसिद्ध बाल साहित्यकार हरिकृष्ण देवसरे के नाम पर गठित यह पुरस्कार हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य न्यास पिछले तीन वषरें से देश के चोटी के बाल साहित्यकारों को देता रहा है. दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में पिछले सात दशकों से भी अधिक समय से बाल साहित्य से जुड़ी शांति अग्रवाल और बालकराम नागर को भी सम्मानित किया गया. बालस्वरूप राही, नरेन्द्र सहगल और डॉ. विभा देवसरे ने इन वयोवृद्ध साहित्यकारों को सम्मानित किया.
इस अवसर पर बाल स्वरुप राही ने बाल रचनाओं की लेखन प्रक्रिया, उसके प्रभाव आदि की बारीकियों को समझाया. नरेन्द्र सहगल ने बाल साहित्य में विजन की अनिवार्यता और प्रयोगों पर विमर्श किया. सम्मान प्राप्त करने के बाद पंकज चतुर्वेदी ने बाल साहित्य में राजा-रानी के स्थान पर लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना, उसके पात्रों में विधायक, सरपंच या कलेक्टर की भूमिका को प्राथमिकता देने की जरूरत बतायी.
उन्होंने अनुरोध किया कि बाल साहित्यकार मुफ्त में लिखना बंद करें तभी इस विधा को सम्मान और पहचान मिलेगी. न्यास ने इस अवसर पर देवसरे बाल साहित्य समाचार पत्र निकालने की घोषणा भी की.
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