नोटबंदी: साहित्य समारोहों में दिलचस्पी नहीं ले रहे आयोजक, प्रकाशन उद्योग पर पड़ रही मार

नोटबंदी: साहित्य समारोहों में दिलचस्पी नहीं ले रहे आयोजक, प्रकाशन उद्योग पर पड़ रही मार

नई दिल्ली:

प्रकाशन उद्योग में आमतौर पर नवंबर से मार्च के बीच रचनात्मक लेखन क्षेत्र में अच्छी बिक्री देखने को मिलती है लेकिन वह नोटबंदी के फैसले के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है क्योंकि आयेाजक साहित्य समारोहों का आयोजन करने से बच रहे हैं जिससे किताबों की बिक्री में काफी कमी आई है.

मराठी प्रकाशक परिषद के अध्यक्ष अरूण जाखड़ ने पीटीआई-भाषा को बताया कि प्रदेश में प्रकाशन उद्योग में रचनात्मक लेखन क्षेत्र में सालाना अनुमानित 50 करोड़ रूपये की ब्रिकी होती है लेकिन यहां संकट बना हुआ है क्योंकि आयोजक कार्यक्रम आयोजित नहीं कर रहे. महाराष्ट्र में लगभग प्रकाशन परिषद के 350 सदस्य हैं. नोटबंदी से यह सभी प्रभावित हैं क्योंकि किताबों की ब्रिकी घट गई है.

जाखड़ ने बताया, प्रकाशकों के लिए संस्थागत बिक्री फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर खरीद की जाती हैं लेकिन इस अवधि में स्कूल और कॉलेज जैसे कुछ ही संस्थान होते हैं जो खरीद करते हैं. नवंबर से मार्च की अवधि कवियों, कहानिकारों और उपन्यासकारों जैसे रचनात्मक लेखकों के लिए आमतौर पर काफी अच्छी साबित होती है. 

उन्होंने कहा, इस समय कई महत्वपूर्ण किताबों का प्रकाशन होता है और विशेष चर्चाओं का आयोजन भी होता है. ये सभी प्रभावित हुए हैं क्योंकि ज्यादातर कार्यक्रम या तो रद्द कर दिए गए हैं या रद्द होने वाले हैं क्योंकि लोग किताबें खरीद सकें इसके लिए बाजार में पर्याप्त नगदी नहीं है. प्राथमिकता सूची में किताबें खरीदना अंतिम विकल्प होता है क्योंकि इन दिनों लोग केवल जरूरी सामान खरीदना चाह रहे हैं.


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