नई दिल्ली:
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में कथाकार महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को श्रोताओं को कैटी काउकवेल, जाइल्स एबट और जयश्री रिगले ने अपनी कहानियां सुनाईं. इनकी कहानी कहने की कला ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कला केंद्र और निवेश की ओर से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कथाकार महोत्सव के दूसरे दिन उन्होंने कई कहानियां सुनाईं, जिनमें पानी लाने-ले जाने वाले की भी कहानी थी. उनकी कहानियों को बच्चे और वयस्क दोनों बहुत ही चाव के साथ सुनते रहे.
पहली बार भारत आने वाले काउकवेल ने कहा कि इस आयोजन ने उन्हें अपनी कहानियों को विस्तार के साथ साझा करने का अवसर प्रदान किया है. उन्होंने कहा, "जब मैं 13 साल की थी तो मैंने एक पेशेवर कथाकार को कहानी सुनाते हुए सुना और मैं पिछले 20 वर्षो से कथा वाचक के रूप में काम कर रही हूं."
उन्होंने कहा, "भारत में लोगों को बहुत उत्साही और अनुकूल पाती हैं. मेरे लिए उन बच्चों के समक्ष अंग्रेजी में कहानी सुनाना चुनौतीपूर्ण रहा है जो अंग्रेजी में बहुत प्रवीण नहीं हैं लेकिन वे इशारों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं. मैं मानती हूं कि कहानियां आनंद प्रदान करती हैं और लोगों को एक दूसरे के करीब लाती हैं. काउकवेल ने कथा वाचन का एक सत्र पक्षियों के लिए रखा."
ब्रिटेन के ही एबट ने, जिन्होंने 1994 में आंशिक रूप से अपनी दृष्टि खो दी, कहते हैं कि वह किताबें और कहानियां नहीं पढ़ सकते हैं. "मैं दूसरों से कहानियां सुनता हूं और उन्हें याद रखता हूं और उसके बाद मैं उन कहानियों को अपने तरीके से कहता हूं. मैं बच्चों की तुलना में वयस्कों को कहानियां सुनाना अधिक पसंद करता हूं." एबट वाइकिंग एवं सेल्टिक कहानियों में माहिर हैं."
दिल्ली में यह महोत्सव एक और दिन चलेगा और उसके बाद इसका आयोजन मुंबई और बेंगलुरू में होगा.
महोत्सव के एक आयोजक घुमक्कड़ नारायण के प्रार्थना बिष्ट ने कहा, "हम पूरे देश में महोत्सव आयोजित करते हैं जिनके लिए हम विभिन्न देशों के कथाकारों को आमंत्रित करते हैं कि वे भारत आएं. आज के समय में बच्चे अब बहुत कम दादा-दादी, नाना-नानी के पास रहते हैं और ऐसे में मौखिक कथावाचन की परम्परा घट रही है. हमें उम्मीद है कि बच्चों को विभिन्न सभ्यताओं की विभिन्न तरह की कहानियां सुनने को मिली होगी. यह दुनिया को खोलने तथा बच्चों, खास तौर पर बंचित बच्चों की कल्पना का उभारने का एक प्रयास है."
इस महोत्सव के अन्य आकर्षणों में मुंबई के कवि एवं अभिनेता दानिश हुसैन की 'किस्सेबाजी' तथा 'समकालीन कहानियों' पर चर्चा भी शामिल है. इसके अलावा जापान के कमिशिबाई मंडली - स्पाइस आर्थर भी शामिल है जिसे परंपरागत जापानी कथावाचन में विशेषज्ञता हासिल है. इससे पहले केरल की छाया कठपुतली मंडली ने देशी कला शैली - थोल्पावाकुथु के जरिए कंबा रामायण के एक अंश को पेश किया.
आईजीएनसीए के कार्यक्रम निदेशक डॉ. मंगलम स्वामीनाथन ने कहा, "इस कार्यक्रम के पीछे का विचार विभिन्न संस्कृतियों की कथा वाचन की परंपराओं को पेश करना है. इसके लिए न केवल समकालीन कहानियों की जरूरत है, बल्कि नए एवं पुराने दोनों तरह की कहानियों की जरूरत है. दुनिया के विभिन्न हिस्से के छात्रों से कहानियां सुनना वाकई मजेदार है." कथाकार 14 नवंबर को बेंगलुरू में आयोजित किया जाएगा और 17 नवंबर को मुंबई में आयोजित होगा.
पहली बार भारत आने वाले काउकवेल ने कहा कि इस आयोजन ने उन्हें अपनी कहानियों को विस्तार के साथ साझा करने का अवसर प्रदान किया है. उन्होंने कहा, "जब मैं 13 साल की थी तो मैंने एक पेशेवर कथाकार को कहानी सुनाते हुए सुना और मैं पिछले 20 वर्षो से कथा वाचक के रूप में काम कर रही हूं."
उन्होंने कहा, "भारत में लोगों को बहुत उत्साही और अनुकूल पाती हैं. मेरे लिए उन बच्चों के समक्ष अंग्रेजी में कहानी सुनाना चुनौतीपूर्ण रहा है जो अंग्रेजी में बहुत प्रवीण नहीं हैं लेकिन वे इशारों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं. मैं मानती हूं कि कहानियां आनंद प्रदान करती हैं और लोगों को एक दूसरे के करीब लाती हैं. काउकवेल ने कथा वाचन का एक सत्र पक्षियों के लिए रखा."
ब्रिटेन के ही एबट ने, जिन्होंने 1994 में आंशिक रूप से अपनी दृष्टि खो दी, कहते हैं कि वह किताबें और कहानियां नहीं पढ़ सकते हैं. "मैं दूसरों से कहानियां सुनता हूं और उन्हें याद रखता हूं और उसके बाद मैं उन कहानियों को अपने तरीके से कहता हूं. मैं बच्चों की तुलना में वयस्कों को कहानियां सुनाना अधिक पसंद करता हूं." एबट वाइकिंग एवं सेल्टिक कहानियों में माहिर हैं."
दिल्ली में यह महोत्सव एक और दिन चलेगा और उसके बाद इसका आयोजन मुंबई और बेंगलुरू में होगा.
महोत्सव के एक आयोजक घुमक्कड़ नारायण के प्रार्थना बिष्ट ने कहा, "हम पूरे देश में महोत्सव आयोजित करते हैं जिनके लिए हम विभिन्न देशों के कथाकारों को आमंत्रित करते हैं कि वे भारत आएं. आज के समय में बच्चे अब बहुत कम दादा-दादी, नाना-नानी के पास रहते हैं और ऐसे में मौखिक कथावाचन की परम्परा घट रही है. हमें उम्मीद है कि बच्चों को विभिन्न सभ्यताओं की विभिन्न तरह की कहानियां सुनने को मिली होगी. यह दुनिया को खोलने तथा बच्चों, खास तौर पर बंचित बच्चों की कल्पना का उभारने का एक प्रयास है."
इस महोत्सव के अन्य आकर्षणों में मुंबई के कवि एवं अभिनेता दानिश हुसैन की 'किस्सेबाजी' तथा 'समकालीन कहानियों' पर चर्चा भी शामिल है. इसके अलावा जापान के कमिशिबाई मंडली - स्पाइस आर्थर भी शामिल है जिसे परंपरागत जापानी कथावाचन में विशेषज्ञता हासिल है. इससे पहले केरल की छाया कठपुतली मंडली ने देशी कला शैली - थोल्पावाकुथु के जरिए कंबा रामायण के एक अंश को पेश किया.
आईजीएनसीए के कार्यक्रम निदेशक डॉ. मंगलम स्वामीनाथन ने कहा, "इस कार्यक्रम के पीछे का विचार विभिन्न संस्कृतियों की कथा वाचन की परंपराओं को पेश करना है. इसके लिए न केवल समकालीन कहानियों की जरूरत है, बल्कि नए एवं पुराने दोनों तरह की कहानियों की जरूरत है. दुनिया के विभिन्न हिस्से के छात्रों से कहानियां सुनना वाकई मजेदार है." कथाकार 14 नवंबर को बेंगलुरू में आयोजित किया जाएगा और 17 नवंबर को मुंबई में आयोजित होगा.
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