प्रतीकात्मक चित्र
देश में रह रहे सोमालियाई शरणार्थियों से होने वाले भेदभाव और उनकी समस्याओं को एक उपन्यासा के जरिये रेखांकित करने की कोशिश की गई है. दिल्ली में कला संरक्षक राधा महेंद्रू और शोधकर्ता बानी गिल ने रेखाचित्रों से सजे अपने उपन्यास ‘द हराइजन इज एन इमेजनरी लाइन’ में इन शरणार्थियों की समस्या को पुरजोर उठाया.
ये उपन्यास भारत में शरणार्थी के तौर पर रहने आई एक सोमालियाई युवती के सामने आई परेशानियों का चित्रण है. उपन्यास का विमोचन खोज इंटरनेशनल आर्टिस्ट असोसिएशन ने किया.
महेंद्रू ने कहा, ‘‘समुदाय आधारित काम करने का खोज का लंबा अनुभव है और यहां रह रहे शरणार्थियों से मैंने उन्हीं के जरिये संपर्क किया. ऐसे में वैश्विक शरणार्थी संकट को लेकर उठ रही आवाज के साथ मैंने कला का प्रयोग किया. जब हमनें किताब के लिए शोध शुर किया, तब हमें पता चला कि कई सोमालियाई शरणार्थी इस इलाके में रह रहे हैं.’’ किताब में शरणार्थियों से जुड़ी ऐसी कहानियों की पूरी श्रृंखला है, जो शरणार्थियों से मुलाकात के दौरान लेखक के सामने आईं.
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एजेंसी से इनपुट.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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महेंद्रू ने कहा, ‘‘समुदाय आधारित काम करने का खोज का लंबा अनुभव है और यहां रह रहे शरणार्थियों से मैंने उन्हीं के जरिये संपर्क किया. ऐसे में वैश्विक शरणार्थी संकट को लेकर उठ रही आवाज के साथ मैंने कला का प्रयोग किया. जब हमनें किताब के लिए शोध शुर किया, तब हमें पता चला कि कई सोमालियाई शरणार्थी इस इलाके में रह रहे हैं.’’ किताब में शरणार्थियों से जुड़ी ऐसी कहानियों की पूरी श्रृंखला है, जो शरणार्थियों से मुलाकात के दौरान लेखक के सामने आईं.
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