(प्रतिकात्मक तस्वीर)
असमी साहित्य को समृद्ध बनाने में महिला लेखिकाओं का शानदार योगदान रहा है और उनके प्रभाव क्षेत्र को और व्यापक आकार देने के लिए 11 प्रतिष्ठित लेखिकाओं की अनुवादित कृतियों को एक नयी किताब की शक्ल दी गयी है.
पत्रकार परबीना रशीद द्वारा अनुवादित और संकलित ‘इकोज फ्रॉम द वैली, स्टोरीज बाय असमीज वुमन राइर्ट्स’ आधुनिक साहित्य की लघु कथा शैली में हो रहे बदलाव को दर्शाती है.
रशीद ने कहा, ‘‘सैकड़ों कहानियों से गुजरने के बाद मैंने इन 11 कहानियों को चुना, इसका मतलब ये नहीं है कि अन्य का साहित्यक मूल्य कहीं से भी कम था, लेकिन ये सभी कहानियां एकसाथ मिलकर जटिल संस्कृति की पूरी तस्वीर को बयां करती हैं.’’ यह संकलन 11 लेखिकाओं के नजरिए से असमी संस्कृति में महिलाओं के विकास को समझने का भी प्रयास है.
इनमें स्नेहा देवी, निरूपमा बोरगोहेन, इंदिरा गोस्वामी, अरपा पतंगिया कलिता, रीता चौधरी, अनुराधा शर्मा पुजारी से लेकर मौसमी कंडली और जुरी बोरा बोरगोहेन जैसी युवा लेखिका शामिल हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पत्रकार परबीना रशीद द्वारा अनुवादित और संकलित ‘इकोज फ्रॉम द वैली, स्टोरीज बाय असमीज वुमन राइर्ट्स’ आधुनिक साहित्य की लघु कथा शैली में हो रहे बदलाव को दर्शाती है.
रशीद ने कहा, ‘‘सैकड़ों कहानियों से गुजरने के बाद मैंने इन 11 कहानियों को चुना, इसका मतलब ये नहीं है कि अन्य का साहित्यक मूल्य कहीं से भी कम था, लेकिन ये सभी कहानियां एकसाथ मिलकर जटिल संस्कृति की पूरी तस्वीर को बयां करती हैं.’’ यह संकलन 11 लेखिकाओं के नजरिए से असमी संस्कृति में महिलाओं के विकास को समझने का भी प्रयास है.
इनमें स्नेहा देवी, निरूपमा बोरगोहेन, इंदिरा गोस्वामी, अरपा पतंगिया कलिता, रीता चौधरी, अनुराधा शर्मा पुजारी से लेकर मौसमी कंडली और जुरी बोरा बोरगोहेन जैसी युवा लेखिका शामिल हैं.
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