बैरम खान और उनके बेटे अब्दुर रहीम सैनिक बेहतर कवि भी थे
मुगल काल के नृशंस सत्ता संघर्षों और साहित्यिक उपलब्धियों की पृष्ठभूमि में दो दरबारियों और कवियों की जीवन गाथा को समेटने वाली एक नयी पुस्तक आयी है.
बैरम खान और उनके बेटे अब्दुर रहीम सैनिक, कवि एवं दरबारी थे जिनकी जिंदगी उस काल के उथल-पुथल को दर्शाती है जिस काल में वे रहते थे.
पूर्व नौकरशाह टी सी ए राघवन की पुस्तक ‘एटेंडडेंट लॉर्ड्स बैरम खान एण्ड अब्दुर रहीम: कोर्टियर्स एंड पोएट्स इन मुगल इंडिया’चार शासकों-- बाबर, हुमायूं, अकबर और जहांगीर के शासनकालों एवं मुगल काल के सैकड़ों साल के इतिहास को समेटती है, एक ऐसा काल जब ये दोनों ही दरबार की जटिल राजनीति के बिल्कुल मध्य में थे.
हुमायूं के आकस्मिक निधन के बाद बैरम चार अहम सालों तक युवा शासक अकबर का संरक्षक थे. अब्दुर रहीम मुगल साम्राज्य में अति महत्वपूर्ण जनरलों में एक थे लेकिन उन्हें उसकी साहित्यिक प्रतिभा खासकर उनके दोहों को लेकर याद किया जाता है.
लेखक का कोई धर्म नहीं होता: नासिरा शर्मा
जन्मदिन विशेष: लेखन से गूढ़ प्रेम था 'ऐनी आपा' को
इनपुट भाषा से
बैरम खान और उनके बेटे अब्दुर रहीम सैनिक, कवि एवं दरबारी थे जिनकी जिंदगी उस काल के उथल-पुथल को दर्शाती है जिस काल में वे रहते थे.
पूर्व नौकरशाह टी सी ए राघवन की पुस्तक ‘एटेंडडेंट लॉर्ड्स बैरम खान एण्ड अब्दुर रहीम: कोर्टियर्स एंड पोएट्स इन मुगल इंडिया’चार शासकों-- बाबर, हुमायूं, अकबर और जहांगीर के शासनकालों एवं मुगल काल के सैकड़ों साल के इतिहास को समेटती है, एक ऐसा काल जब ये दोनों ही दरबार की जटिल राजनीति के बिल्कुल मध्य में थे.
हुमायूं के आकस्मिक निधन के बाद बैरम चार अहम सालों तक युवा शासक अकबर का संरक्षक थे. अब्दुर रहीम मुगल साम्राज्य में अति महत्वपूर्ण जनरलों में एक थे लेकिन उन्हें उसकी साहित्यिक प्रतिभा खासकर उनके दोहों को लेकर याद किया जाता है.
लेखक का कोई धर्म नहीं होता: नासिरा शर्मा
जन्मदिन विशेष: लेखन से गूढ़ प्रेम था 'ऐनी आपा' को
इनपुट भाषा से
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