प्रतीकात्मक चित्र
भारत की आजादी के 70 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए हार्पर कोलिंस इंडिया किताबों की एक ऐसी सीरीज लेकर आई है, जिनमें समकालीन प्रासंगिकता के मुद्दे और उन विचारों एवं आदर्शों का जिक्र है और जिनसे देश की अंतरात्मा जागी और इसकी राजव्यवस्था को आकार दिया.
भारत में घरेलू नौकरों की हालत को बयां करती है किताब 'मेड इन इंडिया'
प्रकाशक का कहना है कि स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल रही महिलाओं से लेकर विभाजन के दर्द तक, उस पीढ़ी के कवियों और देशभक्तों और विभाजन के पहले के समय पर आधारित इन किताबों से पाठकों को भारत के बारे में एक समग्र दृष्टि विकसित करने में मदद मिलेगी.
प्रेमचंद की कहानियां को आज भी भूले नहीं हैं लोग
हार्पर कोलिंस की ओर से लाई गई इन किताबों में एपीजे अब्दुल कलाम की ‘पाथवेज टू ग्रेटनेस’, गुलजार की ‘फुटप्रिंट्स ऑन जीरो लाइन: राइटिंग्स ऑन दि पार्टीशन’, कृष्णा सोबती की ‘जिंदगीनामा’, तवलीन सिंह की ‘इंडियाज ब्रोकेन ट्रिस्ट’, टीसीए राघवन की ‘दि पीपुल्स नेक्स्ट डोर: दि क्यूरियस हिस्ट्री ऑफ इंडियाज रिलेशंस विद पाकिस्तान’ और वेरा हिल्डेब्रैंड की ‘विमेन ऐट वॉर: सुभाष चंद्र बोस एंड द रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’ शामिल हैं.
भारत में घरेलू नौकरों की हालत को बयां करती है किताब 'मेड इन इंडिया'
प्रकाशक का कहना है कि स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल रही महिलाओं से लेकर विभाजन के दर्द तक, उस पीढ़ी के कवियों और देशभक्तों और विभाजन के पहले के समय पर आधारित इन किताबों से पाठकों को भारत के बारे में एक समग्र दृष्टि विकसित करने में मदद मिलेगी.
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हार्पर कोलिंस की ओर से लाई गई इन किताबों में एपीजे अब्दुल कलाम की ‘पाथवेज टू ग्रेटनेस’, गुलजार की ‘फुटप्रिंट्स ऑन जीरो लाइन: राइटिंग्स ऑन दि पार्टीशन’, कृष्णा सोबती की ‘जिंदगीनामा’, तवलीन सिंह की ‘इंडियाज ब्रोकेन ट्रिस्ट’, टीसीए राघवन की ‘दि पीपुल्स नेक्स्ट डोर: दि क्यूरियस हिस्ट्री ऑफ इंडियाज रिलेशंस विद पाकिस्तान’ और वेरा हिल्डेब्रैंड की ‘विमेन ऐट वॉर: सुभाष चंद्र बोस एंड द रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’ शामिल हैं.
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