Personality Development: व्यक्ति का कोंफिडेंस उसके बात करने के तरीके, उठने-बैठने और व्यवहार (Behaviour) से जुड़ी छोटी-बड़ी चीजों से झलकता है. लेकिन, ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें किसी को हैलो कहने से लेकर प्रजेंटेशन देने या फिर किसी के सामने अपनी बात रखने में भी हिचकिचाहट महसूस होती है. इस झिझक का कारण कोंफिडेंस (Confidence) की कमी हो सकती है जिसे बढ़ाने में पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट के कुछ सामान्य टिप्स आपके बेहद काम आएंगे. इन्हें आजमाकर आप भी खुद में बदलाव देख पाएंगे.
कोंफिडेंस बढ़ाने के लिए पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट टिप्स | Personality Development Tips To Boost Confidence
पॉजीटिव सेल्फ टॉक
आत्मविश्वास बढ़ाने और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के लिए आपका खुद से पॉजीटिव तरीके से बात करना बहुत जरूरी है. खुद को ही जब आप मन ही मन बुरा कहते हैं तो यह झिझक, बेचैनी और नेगेटिविटी आपकी पर्सनैलिटी में और बातों में भी झलकने लगती है. इसी का नतीजा होता है कि आप किसी के आगे अपनी बात रखने से पहले ही खुद को इतना डाउन फील करवा लेते हैं कि कुछ भी कहते समय आपको कोंफिडेंट फील ही नहीं होता. 'मुझसे नहीं हो पाएगा' के बजाय खुद से कहें कि 'हां, मैं यह कर लूंगा'.
व्यक्ति को क्या पहनना चाहिए, ट्रेंडी या बेसिक यह उसकी खुद की मर्जी और पसंद है. इसीलिए हमेशा कोशिश करें कि आप चाहे जिस भी तरह के कपड़े पहनें या तैयार हों उसमें कंफर्टेबल महसूस करें. आप कंफर्टेबल होंगे तो आपको सेल्फ कोंफिडेंस भी फील होगा. कोंफिडेंट रहेंगे तो जाहिर सी बात है हर काम आसान लगने लगेगा.
अपनी बॉडी लैंग्वेज (Body Language) पर काम करना भी जरूरी है. आपकी बॉडी लैंग्वेज देखकर ही सामने वाले व्यक्ति को आप पर विश्वास होने लगता है या वह आप में दिलचस्पी लेने लगता है जिसका फायदा उठाकर आप अपनी बात रख सकते हैं. खड़े हों तो टेढ़े-मेढ़े ना दिखें, हाथों को जेब में डालकर ना रहें, बैठे-बैठे पैर ना हिलाते रहें और बात करते समय सामने वाले व्यक्ति से नजरें मिलाना बॉडी लैंग्वेज से जुड़ी कुछ अहम बाते हैं.
आप सोच रहे होंगे कि पर्सनैलिटी डेवलपमेंट में पढ़ना कहां से आ गया. असल में जितना आप पढ़ेंगे उतनी ही बातें आपके पास होंगी, उतना ही ज्ञान (Knowledge) आपको मिलेगा और बोलने के लिए क्या सही है क्या नहीं इसकी समझ भी आपको आ ही जाएगी. जिसमें ज्ञान और कोंफिडेंस दोनो हो वह हर स्थिति को हैंडल कर सकता है.
हड़बड़ाहट करें दूर
कई बार व्यक्ति में कोंफिडेंस होता है लेकिन नजर नहीं आता. ऐसा हड़बड़ाहट के कारण हो सकता है. हड़बड़ाने वाला व्यक्ति या हर बात को लंबा-चौड़ा खींचने या यहां-वहां की बातें करने वाला व्यक्ति भी अपनी बात किसी के सामने रखने में मुश्किल महसूस कर सकता है.
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