विज्ञापन

क्रिकेट बॉल इतनी सख्त क्यों होती है, जानिए इसके पीछे का पूरा साइंस

क्रिकेट की बॉल इतनी हार्ड क्यों होती है. इसके पीछे सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि साइंस, गेम स्ट्रैटेजी और सेफ्टी तीनों ही होता है. आइए जानते हैं इसका कारण और किसी गेंद का वजन कितना हो सकता है और क्रिकेट की बॉल कैसे बनती है.

क्रिकेट बॉल इतनी सख्त क्यों होती है, जानिए इसके पीछे का पूरा साइंस
आधुनिक क्रिकेट बॉल की जड़ें 17वीं सदी के इंग्लैंड के गांवों से जुड़ी हैं.

Cricket Ball Hardness Reasons: क्रिकेट देखते या खेलते वक्त आपने कई बार सोचा होगा कि क्रिकेट बॉल इतनी ज्यादा सख्त क्यों होती है. आखिर क्यों एक छोटी-सी गेंद इतनी खतरनाक बन सकती है कि खिलाड़ी हेलमेट, पैड और गार्ड पहने बिना नहीं खेल सकते हैं. दरअसल, क्रिकेट बॉल की सख्ती सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि पूरे खेल की जरूरत है. इसके पीछे साइंस, स्ट्रैटेजी और सेफ्टी तीनों हैं. आइए जानते हैं क्रिकेट बॉल के हार्ड होने के कारण.

क्रिकेट बॉल का इतिहास

आधुनिक क्रिकेट बॉल की जड़ें 17वीं सदी के इंग्लैंड के गांवों से जुड़ी हैं. उस समय लोग हाथ से सिली हुई चमड़े की गेंद बनाते थे, जिसके अंदर ऊन या कॉर्क भरा होता था, लेकिन जैसे-जैसे क्रिकेट प्रोफेशनल खेल बना, 18वीं सदी में स्टैंडर्डाइजेशन जरूरी हो गया, ताकि सभी टीमों को बराबरी का मौका मिले. आज की क्रिकेट बॉल एक हाई-प्रिसिजन स्पोर्ट्स टूल है, जिसे बेहद सटीक तरीके से बनाया जाता है.

क्रिकेट बॉल कैसे बनती है?

आज जो बॉल इस्तेमाल होती है, उसमें मुख्य रूप से तीन लेयर होती हैं. पहला अंदर का कोर, जो कॉर्क और मजबूत धागों से बना होता है, दूसरा बाहर की परत, जो हाई-क्वालिटी लेदर की होती है और तीसरी बीच की सिलाई (Seam), जो हाथ से की गई उभरी हुई सिलाई होती है. ऊपर की कोटिंग प्रोटेक्टिव लैकर होती है, जिससे बॉल ज्यादा समय तक टिके. यही बनावट क्रिकेट बॉल को हार्ड, टिकाऊ और कंट्रोल में रखने लायक बनाती है.

क्रिकेट बॉल के साइज और वजन के नियम

इंटरनेशनल क्रिकेट में बॉल के लिए सख्त नियम हैं. पुरुषों की क्रिकेट बॉल का वजन 5.5 से 5.75 औंस और घेरा (Circumference) 22.4 से 22.9 सेंटीमीटर होना चाहिए. महिला और जूनियर क्रिकेट में बॉल का साइज और वजन थोड़ा कम होता है, ताकि खिलाड़ियों को चोट का खतरा कम रहे. 

हार्ड बॉल ही क्यों जरूरी है

क्रिकेट सिर्फ बैट-बॉल का खेल नहीं, बल्कि दिमाग की जंग भी है। उभरी हुई सीम से गेंद स्विंग और सीम मूवमेंट करती है. एक साइड चमकाकर गेंद को हवा में मोड़ा जाता है. बाउंसर और तेज गेंदबाजी इसी सख्ती पर निर्भर करती है. अगर गेंद सॉफ्ट हो, तो स्विंग, बाउंस और पेस तीनों ही खत्म हो जाएंगे. आज के तेज गेंदबाज 145-150 km/h की स्पीड से गेंद फेंकते हैं, क्योंकि क्रिकेट बॉल बहुत सख्त होती है, टकराने पर झटका कम सोखती है और पूरा जोर एक छोटे से हिस्से पर डालती है, इसलिए सिर, गर्दन या छाती पर लगने पर यह जानलेवा भी हो सकती है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com