
RSS Vidya Bharati Schools Story: पश्चिम बंगाल की सरकार ने RSS से जुड़े 125 स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया,जिसके बाद ये स्कूल चर्चा में आ गए हैं. ये स्कूल विद्या भारती नाम की संस्था से जुड़े हैं, जो पूरे देशभर में बच्चों को शिक्षा और संस्कार देने का काम करती है.सरकार के इस फैसले के बाद कोर्ट तक मामला पहुंच गया है, ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर ये विद्या भारती है क्या और इसका इतना बड़ा नेटवर्क कैसे खड़ा हुआ.
विद्या भारती क्या है
विद्या भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का शिक्षा संगठन माना जाता है. इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में है. यह पूरे देश में हजारों स्कूलों और शिक्षा संस्थानों का संचालन करता है. संस्था का उद्देश्य सिर्फ पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में संस्कार, देशभक्ति और संस्कृति की समझ पैदा करना भी है. विद्या भारती के स्कूल शहरों से लेकर गांवों, पहाड़ी इलाकों, वनवासी क्षेत्रों और यहां तक कि झुग्गी-बस्तियों में भी चलाए जाते हैं. संस्था का मानना है कि शिक्षा का असली मकसद बच्चों को ज्ञान के साथ-साथ अच्छे संस्कार और अपनी जड़ों से जुड़ाव सिखाना है.
विद्या भारती का नेटवर्क कितना बड़ा है
विद्या भारती स्कूल बड़े पैमाने पर काम करती है.देशभर में इसके 86 प्रांतीय और क्षेत्रीय समितियां काम करती हैं. इसके स्कूलों में करीब 1.46 लाख शिक्षक पढ़ाते हैं और यहां 34.5 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.
इन स्कूलों में इतने छात्र पढ़ते हैं
आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा का कहना है कि इन स्कूलों में करीब 90 हजार छात्र पढ़ते हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत दलित और ग्रामीण परिवारों से हैं और लगभग 10 प्रतिशत मुस्लिम छात्र भी हैं.
विद्या भारती शुरुआत कब और कैसे हुई
विद्या भारती की शुरुआत 1952 में हुई थी, जब गोरखपुर के पक्की बाग इलाके में पहला सरस्वती शिशु मंदिर खोला गया. इसे आरएसएस नेताओं भाउराव देवरस और नाना जी देशमुख ने स्थापित किया था. धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी ऐसे स्कूल खोले गए. इन्हें चलाने के लिए अलग-अलग समितियां बनीं, जैसे हरियाणा में हिंदू शिक्षा समिति और पंजाब में सर्वहितकारी शिक्षा समिति.
आखिरकार 1977 में इन सबको मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर विद्या भारती संस्था का गठन हुआ और आज यह एक विशाल शिक्षा संगठन बन चुका है. जिन स्कूलों को नोटिस थमाया गया है, वे शारदा शिशु तीर्थ, सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या विकास परिषद की ओर से संचालित किए जाते हैं. ये सभी विद्या भारती से जुड़े हैं.
विद्या भारती की सोच
विद्या भारती का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. संस्था का जोर इस बात पर है कि बच्चों में चरित्र निर्माण और सांस्कृतिक जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है. बच्चों को अपनी जड़ों, परंपराओं और संस्कृति से जोड़ना ही इसका मूल लक्ष्य है. संगठन के नेताओं का कहना है कि आज के बच्चे ही कल के भारत के निर्माता हैं और उनका सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाएं.
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