राष्ट्र गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर देशभर में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्मरणोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे, जो पूरे साल चलेगा. इसके अलावा इस खास मौके पर डाक टिकट भी जारी किया जाएगा. वंदे मातरम को हर किसी ने कभी न कभी जरूर गाया होगा. इसे सुनते ही स्कूल असेंबली की यादें ताजा हो जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वंदे मातरम का असली मतलब क्या होता है? ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको इसका मतलब बताएंगे और साथ ही ये भी जानकारी देंगे कि आखिर ये शब्द कहां से आए हैं.
किसने लिखा था गीत?
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने साल 1875 में इस गीत को लिखा था. इसके बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे गाने के रूप में पेश किया. 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ये गीत गाया गया. ये एक ऐसा गीत था, जो उस दौर में आंदोलन का प्रतीक बन गया और हर जुबान पर चढ़ गया, इसकी धुन सुनते ही लोगों में देशभक्ति की लहर दौड़ पड़ती थी और यही वजह है कि अंग्रेजों ने इस पर बैन भी लगा दिया था. यही वजह है कि 24 जनवरी 1950 में इसे राष्ट्रीय गीत के तौर पर चुना गया था.
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क्या है वंदे मातरम का मतलब?
वंदे मातरम का मतलब है- मैं मां को नमन करता हूं... या फिर भारत माता मैं तेरी स्तुति करता हूं. इसीलिए इसे भारत माता का गीत भी कहा जाता है. इसमें वंदे संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका मतलब नमन करना होता है, वहीं मातरम इंडो-यूरोपीय शब्द है, जिसका मतलब 'मां' होता है. मातृभूमि के प्रति सम्मान जताने के लिए इस गाने का इस्तेमाल होता है.
अब देशभक्ति के इस प्रतीक गीत के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल होने वाले इस गीत को हर कोई याद कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के तमाम नेताओं ने इसके सम्मान में सोशल मीडिया पर लिखा है और देशभर के तमाम स्कूलों में भी इसे गाया गया.
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