
- उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने से आई खीर गंगा नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है
- खीर गंगा नदी ने पहले भी 19वीं सदी में और हाल के वर्षों में विनाशकारी रूप दिखाया है
- खीर गंगा नाम के पीछे कई धार्मिक और स्थानीय मान्यताएं हैं, यहां कई लोग घूमने आते हैं
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हर तरफ तबाही का मंजर नजर आ रहा है, यहां धराली नाम की जगह पर बादल फटने से सैलाब आया और कई लोगों को अपने साथ बहाकर ले गया. ये खौफनाक नजारा कैमरे में भी कैद हुआ है, हादसा इतना भयानक था कि जो भी इसे देख रहा है उसे रौंगटे खड़े हो रहे हैं. भागीरथी नदी की सहायक नदी खीर गंगा ने रौद्र रूप लिया और रास्ते में मौजूद घरों, दुकानों और होटलों को जड़ से उखाड़ दिया. आइए आपको इस खीर गंगा नदी का इतिहास बताते हैं और जानते हैं कि इसका ये नाम कैसे पड़ा.
खीर गंगा का पुराना इतिहास
खीर गंगा नदी का ये रौद्र रूप पहली बार नहीं देखा गया है, इससे पहले भी कई बार इस नदी ने अपना विनाशकारी रूप दिखाया है. बताया जाता है कि 19वीं सदी की शुरुआत में खीर गंगा ने इससे भी भयंकर रूप धारण किया था और अपने साथ सैकड़ों मंदिरों को बहाकर ले गई. ये तमाम मंदिर धराली में थे और कत्यूर शैली में बनाए गए थे. बताया जाता है कि यहां एक साथ 240 मंदिर मौजूद थे. इसके अलावा साल 2013 और 2018 में इस नदी में उफान आया था. तब भी धराली इलाके में काफी ज्यादा नुकसान हुआ था.

क्यों पड़ा खीर गंगा नाम?
इस नदी के नाम को लेकर कई तरह की कहानियां काफी प्रचलित हैं. कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में भगवान कार्तिकेय की एक गुफा थी, जिससे खीर बहा करती थी. कलयुग में खीर को लेकर झगड़ा न हो, इसलिए भगवान परशुराम ने इस खीर को पानी में बदल दिया था. यही वजह है कि नदी का नाम खीर गंगा रखा गया. खीर को ल वहीं एक मान्यता ये भी है कि नदी का पानी दूध जैसा होने के चलते इसका नाम खीर गंगा पड़ा. मान्यता है कि इस पानी में नहाने से कई तरह की बीमारियों में आराम मिलता है. ये नदी बाकी छोटी नदियों की तरह गोमुख से निकलने वाली गंगा (भागीरथी) नदी के साथ मिलती है और उसके धारा प्रवाह को बढ़ाने का काम करती है.

तबाही से सहमे लोग
खीर गंगा के रौद्र अवतार और धराली में मची तबाही के बाद स्थानीय लोग सहमे हुए हैं. इस पूरे इलाके में रहने वाले लोगों को अब ये डर सता रहा है कि कहीं नदी का जलस्तर उनके परिवार के लिए भी खतरा पैदा न कर दे. फिलहाल प्रशासन लोगों की मदद में जुट गया है और रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो चुका है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और सेना के सैकड़ों जवान लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं.
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