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SHANTI Bill Full Form: जी राम जी की तरह संसद से पास हुआ शांति बिल, क्या है इसका फुल फॉर्म?

SHANTI Bill Full Form: शांति बिल को जी राम जी बिल की तरह संसद से पास किया गया है. इस बिल के जरिए सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में कई तरह के बदलाव करना चाहती है, साथ ही सरकार का एकाधिकार खत्म करने की तैयारी है.

SHANTI Bill Full Form: जी राम जी की तरह संसद से पास हुआ शांति बिल, क्या है इसका फुल फॉर्म?
SHANTI Bill Full Form: संसद से पास हुआ शांति बिल

SHANTI Bill Full Form: संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो चुका है, इस पूरे सत्र के दौरान एसआईआर से लेकर कई मुद्दों पर जमकर हंगामा हुआ. हालांकि इस हंगामे के बीच कई बिल भी पेश हुए और उन्हें दोनों सदनों से पास कराया गया. मनरेगा का नाम बदलकर जी राम जी कर दिया गया और इसे भी दोनों सदनों से पास किया गया. वहीं SHANTI बिल भी संसद से पास हुआ. ऐसे में आज हम आपको SHANTI का फुल फॉर्म बताएंगे और ये भी जानकारी देंगे कि इस बिल को लाने के पीछे क्या वजह है. 

किस क्षेत्र के लिए है बिल?

शांति बिल भारत के परमाणु क्षेत्र में कई तरह के बदलावों को लेकर पेश किया गया. सरकार की तरफ से बताया गया कि इसके विधेयक बनने के बाद निजी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र का रास्ता खुल जाएगा, वहीं सरकार का एकाधिकार खत्म होगा. यानी परमाणु क्षेत्र में अब प्राइवेट प्लेयर्स को भी लाने की तैयारी हो रही है. इस बिल के पास होने पर पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि ये हमारे टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाला पल है. AI को सुरक्षित रूप से ताकत देने से लेकर ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने तक, यह देश और दुनिया के लिए स्वच्छ ऊर्जा वाले फ्यूचर को बढ़ावा देने का काम करेगा. 

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क्या है SHANTI का फुलफॉर्म?

दोनों सदनों से पास हुए SHANTI बिल का पूरा नाम 'सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' है. इसे शॉर्ट फॉर्म में शांति बिल कहा जा रहा है. ठीक इसी तरह सरकार ने मनरेगा को रिप्लेस करने वाले G RAM G बिल को भी संसद में पेश किया और पास कराया. इस बिल का पूरा नाम Vikasit Bharat Guarantor for Rozgar and Aajeevika Mission Grameen है. 

इस कानून की लेगा जगह

शांति विधेयक अब परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 और नागरिक दायित्व अधिनियम 2010 की जगह लेगा. इसके कानून बनते ही इन दो विधेयकों को खत्म कर दिया जाएगा. सरकार का तर्क है कि ये पुराने विधेयक परमाणु ऊर्जा में निवेश और प्राइवेट सेक्टर की एंट्री में सबसे बड़ी रुकावट का काम कर रहे थे. 

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