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कौन थे बिहार के इकलौते मुस्लिम सीएम? जानें इंदिरा गांधी ने क्यों ले लिया था इस्तीफा

Bihar Muslim CM: अब्दुल गफूर को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर उनकी ही पार्टी के कई नेताओं में नाराजगी थी, इन नेताओं ने उनके खिलाफ साजिश रचना शुरू कर दिया और कुर्सी से हटाने की पूरी कोशिश करने लगे.

कौन थे बिहार के इकलौते मुस्लिम सीएम? जानें इंदिरा गांधी ने क्यों ले लिया था इस्तीफा
बिहार की राजनीति में एक ही बार रहे मुस्लिम सीएम

Bihar Election 2025: बिहार में अगले कुछ ही हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, चुनाव आयोग की तरफ से इसे लेकर पूरी तैयारी हो चुकी है और अब सिर्फ चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार है. चुनाव से पहले हम बिहार को लेकर कुछ दिलचस्प जानकारी आप तक लेकर आ रहे हैं. आज हम आपको बिहार के इकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके खिलाफ उनकी ही पार्टी के नेताओं ने साजिश रची और उनकी कुर्सी चली गई. 

कांग्रेस के हो गए थे दो फाड़ 

ये उस दौर की बात है जब कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी. नवंबर 1969 में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मिलकर इंदिरा गांधी के खिलाफ विद्रोह कर दिया और उन्हें पार्टी से ही बेदखल कर दिया गया. इसके बाद इंदिरा ने अपना खुद का संगठन कांग्रेस (आई) बनाया और देशभर में लोगों का समर्थन जुटा लिया. साथ ही ज्यादातर सांसदों और नेताओं ने भी इंदिरा वाली कांग्रेस को ही चुन लिया. 

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साल 1972 में इंदिरा वाली कांग्रेस को बिहार की 318 सीटों में से 167 सीटें मिलीं और इसने सरकार बनाई. तब केदार पांडेय को मुख्यमंत्री चुना गया था. इसके बाद जुलाई 1973 में मुस्लिम नेता अब्दुल गफूर को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया गया. जो बिहार के पहले मुस्लिम सीएम थे. 
  • अब्दुल गफूर ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की थी. 
  • अब्दुल गफूर ने कॉलेज के बाद कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और गोपालगंज में राजनीति शुरू हुई और वो कई बार विधायक रहे.
  • केदार पांडेय की सरकार में 1972 में अब्दुल गफूर को विधान परिषद का सभापति बनाया गया और एक साल बाद सीएम बन गए.
  • राजीव गांधी की कैबिनेट में अब्दुल गफूर आवास और कार्य मंत्री के पद पर भी रहे.

पार्टी नेताओं ने रची साजिश

अब्दुल गफूर को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर उनकी ही पार्टी के कई नेताओं में नाराजगी थी, इन नेताओं ने उनके खिलाफ साजिश रचना शुरू कर दिया और कुर्सी से हटाने की पूरी कोशिश करने लगे. जयप्रकाश नारायण ने महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन भी शुरू कर दिया था, इस दौरान पटना में छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ, जिससे माहौल थोड़ा गरमा गया. जेपी और छात्रों ने पटना में कई आंदोलन किए, जिससे गफूर की कुर्सी और ज्यादा डगमगाने लगी. 

इसी विरोध के बीच बिहार के समस्तीपुर में हुए बम धमाके में ललित नारायण मिश्रा की हत्या कर दी गई, जो इंदिरा गांधी के काफी करीबी थे. इसके तीन महीने बाद 1975 में इमरजेंसी से ठीक पहले पीएम इंदिरा ने अब्दुल गफूर से इस्तीफा ले लिया और जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसके कुछ साल बाद गफूर को बिहार से केंद्र की राजनीति में भेज दिया गया. 

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