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This Article is From Apr 28, 2020

लालू यादव का इलाज कर रहे डॉक्टर के वार्ड में भर्ती मरीज निकला कोरोना पॉजिटिव...

कोरोना पॉजिटिव पाए गए रांची  निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग पिछले तीन सप्ताह से रिम्स के डॉ. उमेश प्रसाद के यूनिट में भर्ती था. डॉ. उमेश प्रसाद चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद का भी इलाज कर रहे हैं.

लालू यादव का इलाज कर रहे डॉक्टर के वार्ड में भर्ती मरीज निकला कोरोना पॉजिटिव...
राजद प्रमुख लालू यादव रांची के रिम्स में भर्ती हैं (फाइल फोटो)
रांची:

Jharkhand Corona Updates: क्या राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव भी कोरोना के चक्रव्यूह में फंस गए हैं? दरअसल रांची के रिम्स में भर्ती आरजेडी मुखिया का इलाज जो डॉक्टर कर रहे थे उनके वार्ड में भर्ती बुजुर्ग कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. कोरोना पॉजिटिव पाए गए रांची  निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग पिछले तीन सप्ताह से रिम्स के डॉ. उमेश प्रसाद के यूनिट में भर्ती था. डॉ. उमेश प्रसाद चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद का भी इलाज कर रहे हैं. सोमवार की शाम बुजुर्ग की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे रिम्स के कोविड हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर डॉ. उमेश प्रसाद ने बताया कि उन्होंने 22 अप्रैल से वार्ड का चार्ज लिया है. इस दौरान उन्होंने संक्रमित मरीज को देखा था. हालांकि इस दौरान उन्होंने लालू प्रसाद की जांच के दौरान उन्हें फिजिकली टच नहीं किया है. पिछले दो दिनों से वे लालू प्रसाद के पास नहीं गए हैं. ऐसे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.

पूरे मामले में लालू प्रसाद की कोरोना जांच कराए जाने को लेकर अब रिम्स प्रबंधन निर्णय ले सकता है. इस मामले में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों से बात की जाएगी. उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा. रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू यादव कोरोना संक्रमण के डर के कारण अपने कमरे से नहीं निकल रहे हैं. उनका डायट पहले से कम हो गया है.

करोना के बढ़ते संकट को देखते हुए डॉक्टर ने उनको एहतियात बरतने को कहा है. सेवादार को भी कमरे से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है. गौरतलब है कि लालू प्रसाद पिछले एक महीने से लॉकडाउन के कारण अपने कमरे में हैं. अपने घर के लोगों व कार्यकर्ताओं से भी उनकी मुलाकात बंद है. उधर आरजेडी ने  लालू प्रसाद यादव को पैरोल पर छोड़ने की मांग की है.

आरजेडी का कहना है कि लालू प्रसाद यादव के जीवन को संकट में डालने का यह जानबूझ कर किया गया प्रयास है. उनके पहले की स्थिति को देखते हुए उनके स्वास्थ्य को खतरा है. कम-से-कम सरकार उन्हें पैरोल पर रिहा कर सकती थी. यह समझ नहीं आता कि किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए अधिकारियों को क्यों रोका जा रहा है.

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