कोरोनावायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार की ओर से फंसे मजदूरों और बच्चों को निकलने के लिए बसें भेजने के मुद्दे को लेकर झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार पर इशारे-इशारे में निशाना साधा है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को केंद्र पर झारखंडियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे पर जवाब की मांग की है. सोरेन ने अपने ट्वीट में लिखा, "जब UP के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकती है तो झारखंड के बाहर फ़ंसे बच्चों और मज़दूरों के लिए भी ऐसी व्यवस्था करे केंद्र सरकार. झारखंडियों के साथ ये अन्याय क्यूँ? केंद्र सरकार झारखण्डवासियों को ज़वाब दें."
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्र-छात्राओं को वापस यूपी लाने के लिए शुक्रवार को आगरा से 200 बसें और झांसी से 100 बसें भेजी थी. इससे पहले दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा में फंसे प्रवासी मजदूरों समेत अन्य लोगों को भी निकालने के लिए विशेष बसें चलाई गई थीं. इसका कई राजनेताओं ने विरोध करते हुए कहा था कि यह लॉकडाउन की आवधारणा के विपरीत है.
जब UP के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकती है तो झारखंड के बाहर फ़ँसे बच्चों और मज़दूरों के लिए भी ऐसी व्यवस्था करे केंद्र सरकार।
— Hemant Soren (घर में रहें - सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) April 19, 2020
झारखंडियों के साथ ये अन्याय क्यूँ ? केंद्र सरकार झारखण्डवासियों को ज़बाब दे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष बसें भेजने के फैसले को गलत ठहराया था. उन्होंने एनडीटीवी से कहा - जैसे विशेष बसें कोटा से छात्रों को लाने के लिए चलायी जा रही हैं वो लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय है. बीजेपी के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के इस कदम के खिलाफ पहले भी मुखर रहे हैं और इसको लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जब सोशल डिस्टेंसिंग आवश्यक है और किसी भी तरह से भीड़ का इकट्ठा होना हालात को बिगाड़ सकता है.
हालांकि बिहार सरकार मानती है कि राज्य छात्रों को तो सुविधा प्रदान कर रहे हैं लेकिन जब बात आती है प्रवासी मजदूरों की जो अपने घर लौटने में असमर्थ हैं, तो 'बहाने बनाने' लगते हैं.कुछ दिन पहले जब 300 छात्रों का एक समूह कोटा से टैक्सियों के जरिए पटना पहुंचा था और उनके पास यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज भी मिले थे तब भी बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था.
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