अपनी बच्ची के शव को बाइक पर ले जाता मजबूर बाप.
- झारखंड में सरकारी अस्पतालों की खुली पोल.
- एंबुलेंस न मिलने पर बाइक से बेटी का शव ढोने को मजबूर हुआ बाप.
- अस्पताल ने परिजन के आरोपों से इनकार किया है.
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रांची:
विकास के तमाम दावों के बीच हमारे समाज में समय-समय पर ऐसी हृदयविदारक घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो सरकार के दावों की पोल खोल कर रख देती है. एक बार फिर से झारखंड के गोड्डा से ऐसी घटना सामने आई है, जो सिस्टम पर कई सारे सवाल खड़े करती है. दरअसल, मोटरसाइकिल पर अपनी बेटी की लाश ढोते लाचार बाप की मजबूरी न सिर्फ राज्य के सदर अस्पतालों की बदइंतजामी को दिखाती है, बल्कि ये घटना आज के समय में मानवता को भी शर्मसार करती नजर आती है.
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झारखंड में सरकारी अस्पताल प्रबंधन की पोल खोलती ये तस्वीर गोड्डा जिले की है, जहां सदर अस्पताल में बुधवार शाम 5 बजे इमरजेंसी एंट्री गेट के पास एक लाचार बाप को अपनी बच्ची की लाश मोटरसाइकिल पर ढोते देखा गया. अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज कराने आए पेलगढ़ी गांव पंचायत कुर्मिचक के महादेव साह ने बताया कि गोड्डा का सदर अस्पताल बदहाली का शिकार है. मांगने पर भी यहां लाश ढोने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती. मजबूरी में बाईक पर ही बच्ची का लाश ढोना पड़ रहा है.
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मिली जानकारी के अनुसार, बच्ची का नाम ललिता कुमारी, उम्र 12 साल है. बच्ची को हृदय संबंधी बीमारी थी, जिसका इलाज किसी प्राइवेट क्लिनिक में कराया जा रहा था, अंतिम घड़ी में बच्ची को सदर अस्पताल लाया गया था. हालांकि, बताया जा रहा है कि मृतक बच्ची के परिजनों ने एंबुलेंस की मांग की थी, मगर वहीं, अस्पताल प्रबंधन ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए एम्बुलेंस नहीं मांगने का आरोप पीड़ित परिजनों पर ही लगा दिया.
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