 
                                            आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर अमरनाथ यात्रा में खलल पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
                                                                                                                        - सरकार संशय में, यात्रा स्थगित करे या जारी रखने का खतरा मोल ले
- राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी कमर कसी
- सुरक्षाबल किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर बुरहान वानी को मरे एक साल होने को आए लेकिन अब भी उसका भूत राज्य सरकार का पीछा नही छोड़ रहा है. आठ जुलाई को उसकी पहली बरसी सरकार के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है.
पहली बरसी मनाने का ऐलान अलगाववादियों ने पहले ही कर दिया है. इसके लिए हड़ताली कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है. प्रशासन और सुरक्षाबलों को इस दौरान माहौल बिगड़ने की पूरी आशंका है. वजह है कि इन सबके बीच अमरनाथ यात्रा हो रही है. सरकार में इस बात को लेकर असमंजस में है कि ऐसे हालात में क्या वह हड़ताली कैलेंडर के दिनों के लिए अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दे या फिर इसे जारी रखने का खतरा मोल ले.
वैसे भी अलगाववादी गुट पहले ही 8 जुलाई से 13 जुलाई तक हड़ताली कैलेंडर के दौरान विरोध प्रदर्शनों की तैयारी कर चुका है. इससे निपटने के लिए पुलिस व नागरिक प्रशासन के साथ-साथ केंद्र सरकार भी कमर कस चुकी है. स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में सरकाारी छुट्टी का ऐलान हो चुका है. सभी इंटरव्यू और परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं.
वैसे 28 जून से जारी हुई अमरनाथ यात्रा बिना किसी दिक्कत के जारी है लेकिन आशंका बरकरार है कि कहीं 8 से 13 जुलाई के बीच आतंकी हमला न हो जाए. वजह है कि बुरहान की बरसी को लेकर जो भी विरोध प्रदर्शन का ऐलान हुआ है उसका केंद्र अनंतनाग जिला है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जम्मू से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा भी अनंतनाग जिले से होते हुए इसी जिले में खत्म हो जाती है.
आपको बता दें कि जब 8 जुलाई 2016 को सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को मार गिराया था तब कश्मीर में पत्थरबाजी का दौर शुरू हुआ था जो कई महीनों तक जारी रहा था. पत्थरबाजों के तेवर ठंडे नही पड़े हैं. यह कब बिगड़ जाएं कहा नहीं जा सकता. यही वजह है कि प्रशासन ने अब यह जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी है कि वह इस पर अंतिम फैसला ले. सुरक्षाबलों ने हालांकि अपनी ओर से किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोका दिया जाए तो बुरा नहीं होगा. इससे खतरा काफी हद तक टल जाएगा.
                                                                        
                                    
                                पहली बरसी मनाने का ऐलान अलगाववादियों ने पहले ही कर दिया है. इसके लिए हड़ताली कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है. प्रशासन और सुरक्षाबलों को इस दौरान माहौल बिगड़ने की पूरी आशंका है. वजह है कि इन सबके बीच अमरनाथ यात्रा हो रही है. सरकार में इस बात को लेकर असमंजस में है कि ऐसे हालात में क्या वह हड़ताली कैलेंडर के दिनों के लिए अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दे या फिर इसे जारी रखने का खतरा मोल ले.
वैसे भी अलगाववादी गुट पहले ही 8 जुलाई से 13 जुलाई तक हड़ताली कैलेंडर के दौरान विरोध प्रदर्शनों की तैयारी कर चुका है. इससे निपटने के लिए पुलिस व नागरिक प्रशासन के साथ-साथ केंद्र सरकार भी कमर कस चुकी है. स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में सरकाारी छुट्टी का ऐलान हो चुका है. सभी इंटरव्यू और परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं.
वैसे 28 जून से जारी हुई अमरनाथ यात्रा बिना किसी दिक्कत के जारी है लेकिन आशंका बरकरार है कि कहीं 8 से 13 जुलाई के बीच आतंकी हमला न हो जाए. वजह है कि बुरहान की बरसी को लेकर जो भी विरोध प्रदर्शन का ऐलान हुआ है उसका केंद्र अनंतनाग जिला है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जम्मू से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा भी अनंतनाग जिले से होते हुए इसी जिले में खत्म हो जाती है.
आपको बता दें कि जब 8 जुलाई 2016 को सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को मार गिराया था तब कश्मीर में पत्थरबाजी का दौर शुरू हुआ था जो कई महीनों तक जारी रहा था. पत्थरबाजों के तेवर ठंडे नही पड़े हैं. यह कब बिगड़ जाएं कहा नहीं जा सकता. यही वजह है कि प्रशासन ने अब यह जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी है कि वह इस पर अंतिम फैसला ले. सुरक्षाबलों ने हालांकि अपनी ओर से किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोका दिया जाए तो बुरा नहीं होगा. इससे खतरा काफी हद तक टल जाएगा.
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