आज सुबह-सुबह मैं NDTV का अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल देख रही थी, तभी एक खबर आई "Anchor has been detained..." वाकई, यह परेशान करने वाली ख़बर थी. मैंने सोचा, एंकर को क्यों हिरासत में लिया गया है. न्यूज़ एंकर ने अगली लाइन में बताया कि Zee News के एंकर को डिटेन किया गया है. इसके बाद मैंने Zee News चैनल लगाया. वहां तस्वीरें चल रही थीं कि गाज़ियाबाद में एंकर के घर के बाहर रायपुर (छत्तीसगढ़) पुलिस पहुंची हुई थी और मीडिया का भी जमावड़ा लगा था. रायपुर पुलिस एंकर को गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन वहां गाज़ियाबाद पुलिस भी पहुंच चुकी थी, जिसकी वजह से रायपुर पुलिस एंकर को गिरफ्तार नहीं कर पाई.
गाज़ियाबाद पुलिस को शायद एंकर ने खुद बुलाया था. ज़ाहिर-सी बात है, अपने बचने के लिए या खुद को बचाने के लिए आदमी जो कर सकता है, करता है, इसीलिए एंकर ने गाज़ियाबाद पुलिस और जो स्थानीय राजनेता या बड़े लोग हो सकते हैं, उनसे मदद मांगी थी.
आगे न्यूज़ में मैंने समझा कि राहुल गांधी से जुड़ा एक वीडियो न्यूज़ पर एंकर के एक कार्यक्रम में गलती से चल गया था. यह कोई आम न्यूज़ बुलेटिन नहीं था, बल्कि एक खास कार्यक्रम था. खास कार्यक्रम को पूरी की पूरी टीम बनाती है, सो, ऐसे में सवाल तो उठता है कि बड़ी गलती कैसे हो गई. बहरहाल, गलती हुई होगी और इसका नतीजा भी सामने आ गया.
एंकर के घर के बाहर हंगामा चल ही रहा था, तभी सुबह 8 बजे एंकर के घर में नोएडा पुलिस पहुंच गई और एंकर को अपने साथ ले गई, क्योंकि उनके यहां भी थाने में कोई मामला दर्ज हो गया था. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रायपुर पुलिस सुबह करीब 6 बजे एंकर के घर के बाहर पहुंचती है. वहीं, 8 बजे नोएडा थाने में एंकर के खिलाफ केस दर्ज हो जाता है और नोएडा पुलिस एंकर को किसी गुमनाम जगह पर अपने साथ ले जाती है. पुलिस का कहना है कि एंकर से पूछताछ चल रही है.
अब सवाल यह उठता है कि रायपुर पुलिस ने एंकर की गिरफ्तारी को लेकर लोकल थाने में क्यों नहीं बताया. इस पर रायपुर पुलिस के DSP ने कहा कि जब किसी राज्य की पुलिस वॉरंट लेकर आती है, तो लोकल थाने में बताने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि उसके पास कोर्ट का वॉरंट हैं. उन्होंने कहा, गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के लिए हम कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेंगे. हालांकि अभी तक मामले में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि रायपुर पुलिस को पता नहीं है कि नोएडा पुलिस एंकर को पूछताछ के लिए कहां लेकर गई है.
चैनल ने दी शिकायत
सुनने में ऐसी बात भी आ रही है कि न्यूज़ चैनल ने एक शिकायत दी है कि प्रोग्राम प्रोड्यूसर और जूनियर प्रोड्यूसर की गलती की वजह से टीवी में यह गलती चली गई है. इसमें एंकर की गलती नहीं है, लेकिन प्रोग्राम तो टीम वर्क होता है. कहां किससे गलती हुई, देखने वाली बात है.
वहीं, आजकल पत्रकारों की गिरफ्तारी बड़ी परेशान करने वाली है. मोहम्मद ज़ुबैर के मामले में कहा जा रहा है कि उन्हें नोटिस देकर किसी और मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि इस मामले से ज़ुबैर का मामला बिल्कुल अलग है.
मेरे सहयोगी मुकेश सिंह सेंगर ने बताया कि जब सिद्धू मूसेवाला के शूटरों को गुजरात से गिरफ्तार करना था, तब दिल्ली पुलिस ने लोकल थाने में नोटिस नहीं दिया था. इस मामले को देखने से पता चलता है कि अगर दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार हो, तो पुलिस को अपना काम करने में कोई कठिनाई नहीं होती. अगर वहीं दो राज्यों में अलग-अलग विचारधाराओं की सरकारें होती हैं, तो पुलिस के लिए काम करना आसान नहीं रह जाता.
आज इस मामले पर बहुत लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं. अगर आप सोशल मीडिया पर देखें, तो यह ट्रेंड भी कर रहा है. इसमें देखना होगा कि कानून को किस तरह फॉलो किया जा रहा है और इसमें क्या खामियां हैं. अब लोगों को इंतज़ार है कि नोएडा पुलिस एंकर से पूछताछ करके क्या जानकारी देती है, क्योंकि यहां एक तरफ गाज़ियाबाद पुलिस और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ पुलिस - खड़ी है, इंतज़ार कर रही है.
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