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योगेश गौड़ा हत्या मामला: कर्नाटक के कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी की जमानत SC ने की रद्द

कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि कुलकर्णी ने गवाहों को प्रभावित करके जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है.

योगेश गौड़ा हत्या मामला: कर्नाटक के कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी की जमानत SC ने की रद्द
2016 के हत्या मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री को दी गई जमानत रद्द
नई दिल्ली:

कर्नाटक के कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. बीजेपी नेता योगेश गौड़ा की हत्या के मामले में विनय कुलकर्णी की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है. विनय कुलर्णी पर गवाहों को प्रभावित करने का लगा आरोप था. कुलकर्णी को साल 2020 में इस हत्या के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. जबकि साल 2021 में ज़मानत मिल गई थी. कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि कुलकर्णी ने गवाहों को प्रभावित करके जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है.

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य हैं जो यह दर्शाते हैं कि कुलकर्णी द्वारा गवाहों से संपर्क करने या उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया गया. पीठ ने कहा, ‘‘परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की यह सुविचारित राय है कि प्रतिवादी (कुलकर्णी) को दी गई जमानत रद्द की जानी चाहिए. परिणामस्वरूप, आरोपी संख्या 15, यानी प्रतिवादी को दी गई जमानत रद्द की जाती है.''

शीर्ष अदालत ने साथ ही कुलकर्णी को शुक्रवार से एक सप्ताह के भीतर संबंधित निचली अदालत या जेल प्राधिकरण के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.

क्या है पूरा मामला

यह मामला साल 2016 का है. 15 जून 2016 को योगेश गौड़ा की हत्या की गई थी. परिवार ने इसका आरोप तत्कालीन मंत्री एवं कांग्रेस नेता विनय कुलकर्णी पर लगाया था. हालांकि सिद्धारमैया सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इस हत्याकांड को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने विरोध प्रदर्शन किया और चुनाव में इसको मुद्दा भी बनाया.

विनय कुलकर्णी कर्नाटक कांग्रेस के नेता हैं. वर्तमान में वो धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इन्होंने जीत हासिल की, इससे पहले साल 2014 के लोकसभा और 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सिद्धारमैया कैबिनेट में इनको खान मंत्री के रूप में सरकार में शामिल किया गया था.

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