नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने योगेंद्र यादव की पार्टी के राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से छुट्टी करने के बाद मंगलवार को उन्हें पार्टी ने मुख्य प्रवक्ता पद से भी हटा दिया। प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार को भी प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया है।
केजरीवाल के वफादार 'आप' ने प्रवक्ताओं का एक नया पैनल तैयार किया है। इस पैनल में 20 प्रवक्ताओं की टीम है। चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक रहीं आतिशी मारलेना को भी प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है।
दीपक वाजपेयी को मीडिया कॉर्डिनेटर बनाया गया है। इनके अलावा संजय सिंह, कुमार विश्वास, पंकज गुप्ता, इलियास आजमी, आशुतोष, आशीष खेतान, दिलीप पांडे, एच.एस. फुल्का, भगवंत मान, सौरभ भारद्वाज, राहुल मेहरा, आर्दश शास्त्री, प्रीति शर्मा मेनन, पृथ्वी रेड्डी, निशिकांत मल्होत्रा, अल्का लांबा, कपिल मिश्रा, अक्षय, रिचा पांडे मिश्रा और राघव चड्ढा पार्टी के नए प्रवक्ता होंगे।
यादव, भूषण और आनंद कुमार को प्रवक्ता के पद से उन्हें राष्ट्रीय परिषद की बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने के चार दिन बाद हटाया गया है। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाया गया था।
भूषण को रविवार को अनुशासन समिति के प्रमुख पद से हटा दिया गया था। गत चार मार्च को भूषण और यादव को पार्टी की राजनैतिक मामलों की समिति से हटा दिया गया था।
नई पार्टी बनाएंगे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव
आप के असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण व योगेन्द्र यादव ने अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर संशय को बरकरार रखा, लेकिन अपने कार्यकर्ताओं एवं शुभचिंतकों की राय लेने के बाद किसी राजनीतिक दल के गठन की संभावना से इंकार भी नहीं किया।
केजरीवाल के पार्टी चलाने के तरीके पर अप्रसन्नता जताते हुए भूषण ने कहा कि वह और यादव 14 अप्रैल को एक बैठक में देशभर के अपने समर्थकों के साथ विस्तार से विचार-विमर्श करेंगे। यह बैठक उन आप सदस्यों की सकारात्मक ऊर्जा को दिशा देने के लिए बुलाई गई है, जो मौजूदा नेतृत्व में ‘‘ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।’’
भूषण ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘इसे कोई राजनीतिक दल होना जरूरी नहीं है। लेकिन यह कोई राजनीतिक दल भी हो सकता है जो इस बात पर निर्भर करेगा कि वे क्या चाहते हैं और क्या होता है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमें फिलहाल मुद्दों एवं आंदोलन पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए न कि राजनीतिक दल गठित करने के बारे में।’’ दस साल पहले आरटीआई आंदोलन के समय केजरीवाल के साथ आये प्रख्यात वकील ने कहा कि उन्हें एवं यादव को जिस तरह से हटाया गया, वह उससे बेहद दुखी हैं।
केजरीवाल को समर्थन देने के लिए खेद व्यक्त करते हुए भूषण ने कहा कि जिस तरह से 28 मार्च को राष्ट्रीय परिषद की बैठक संचालित की गई वह अक्षम्य है। भूषण ने दावा किया कि केजरीवाल लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद दिल्ली में सत्ता हथियाने को लेकर बेताब थे और उन्होंने पिछले साल नवंबर में दिल्ली विधानसभा भंग किए जाने से पहले तक अपने प्रयास जारी रखे थे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने कांग्रेस का समर्थन हासिल करने के मकसद से राहुल गांधी से बातचीत करने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता तक से संपर्क किया था।
भूषण ने कहा कि नवंबर 2014 में उन्होंने निखिल डे से संपर्क किया था और उनसे कहा था कि वह सरकार गठन के लिए कांग्रेस के समर्थन के वास्ते राहुल गांधी से संपर्क करें। इस बारे में टिप्पणी के लिए डे से संपर्क नहीं हो पाया।
भूषण ने कहा कि भले ही आप की राजनीतिक मामलों की समिति एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कांग्रेस के समर्थन से फिर से सरकार नहीं बनाने का निर्णय किया था, लेकिन केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन या पार्टी से विधायकों को अलग करवा उनका समर्थन लेने के प्रयास जारी रखे।
यह पूछे जाने पर कि क्या 'आप' के साथ बने रहना असंभव हो गया था, भूषण ने कहा कि वह केजरीवाल और उनके समर्थकों के साथ नहीं चल सकते। भूषण ने कहा कि उन्होंने 28 मार्च को जो किया वह अक्षम्य है।
इनपुट : भाषा
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं