आज जिंदगी हमारी बहुत आसान हो गई है. पल भर में हम किसी को पैसे ट्रांसफर कर देते हैं, कहीं से कोई हमें ट्रांसफर कर देता हैं. हालांकि, जब यूपीआई नहीं था तो हम बैंक और एटीएम पर निर्भर करते थे. बैंक में ज्यादा समय लगता था तो हम ATM की मदद से ही कैश डिपोजिट कर देते हैं, पैसे निकाल लेते हैं. ऐसे में आपके मन में ये जरूर सवाल उठता होगा कि आखिर सबसे पहला एटीएम कहां शुरू हुआ था? भारत में ये कब आया. इस आर्टिकल में हम आपको एटीएम के इतिहास के बारे में बताएंगे.
दुनिया का पहला ऑटोमैटिक टेलर मशीन न्यूयॉर्क के रॉकविले सेंटर के केमिकल बैंक में खोला गया. जानकारी के मुताबिक, डलास की डॉकटेल कंपनी में कार्यरत एग्जीक्यूटिव डॉन वेट्जेल की सोच का नतीजा था, जिसने बैंक से पैसा निकालने की लंबी लाइन में घंटों बर्बाद होने से तंग आकर कुछ ऐसा करने की ठानी, जिससे मशीन के जरिये पैसा निकाला जा सके. उनकी ये कोशिश सफल हुई. आज सभी देश एटीएम मशीन का इस्तेमाल करते हैं.
न्यूयॉर्क पोस्ट में 2019 में एटीएम मशीन के जनक डॉन वेट्जेल की एक इंटरव्यू पब्लिश हुई थी. इस इंटरव्यू में वेटजेल ने बताया कि ये बेहद सरल और बेहतरीन मशीन है. आज दुनिया बदल चुकी है, इसके बावजूद एटीएम अभी भी प्रासंगिक है. इस मशीन की मदद से हम तुरंत पैसे निकाल सकते हैं. वे कहते हैं, ''मुझे गर्व है कि सब कुछ ठीक रहा और मुझे अच्छा लगता है कि मुझे यह आइडिया आया, लेकिन बहुत से लोगों के पास बहुत सारे आइडिया हैं.'' वे यह भी कहते हैं कि उनकी पत्नी, 87 वर्षीय एलेनोर ने कभी एटीएम का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने मजाक में कहा, "उसे डर है कि मशीन उसका कार्ड ले लेगी और उसे वापस नहीं देगी."
भारत का पहला एटीएम 1987 में
भारत में पहला एटीएम (First ATM in India) 1987 में एचएसबीसी बैंक ने लगाया था. अगले 10 सालों में यह संख्या 1500 तक पहुंची. इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने स्वधन योजना के तहत देश में एटीएम नेटवर्क शुरू किया. आज देश में ढाई लाख से ज्यादा एटीएम हैं.
2 सितंबर, 1969 को, अमेरिका की पहली स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) ने न्यूयॉर्क के रॉकविल सेंटर में केमिकल बैंक में ग्राहकों को नकदी वितरित करते हुए अपनी सार्वजनिक शुरुआत की. एटीएम ने बैंकिंग उद्योग में क्रांति ला दी, जिससे बुनियादी वित्तीय लेनदेन करने के लिए बैंक जाने की आवश्यकता समाप्त हो गई. 1980 के दशक तक, ये मनी मशीनें व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गई थीं और वे कई कार्य संभालती थीं जो पहले मानव टेलर द्वारा किए जाते थे, जैसे चेक जमा करना और खातों के बीच धन हस्तांतरण. आज, एटीएम अधिकांश लोगों के लिए सेल फोन और ई-मेल की तरह ही अपरिहार्य हैं.
आज दुनिया भर में 1 मिलियन से ज़्यादा ATM हैं, और लगभग हर पांच मिनट में एक नया ATM जुड़ता है. अनुमान है कि 2005 में 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के 170 मिलियन से ज़्यादा अमेरिकियों के पास ATM कार्ड था और वे महीने में छह से आठ बार इसका इस्तेमाल करते थे. आश्चर्य की बात नहीं है कि ATM का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल शुक्रवार को होता है.
1990 के दशक में, बैंकों ने एटीएम का उपयोग करने के लिए शुल्क लेना शुरू कर दिया, जो उनके लिए लाभदायक कदम था और उपभोक्ताओं के लिए कष्टप्रद. उपभोक्ताओं को एटीएम अपराधों और घोटालों में वृद्धि का भी सामना करना पड़ा. लुटेरे खराब रोशनी वाले या अन्यथा असुरक्षित स्थानों पर मनी मशीन का उपयोग करने वाले लोगों को अपना शिकार बनाते थे, और अपराधियों ने ग्राहकों के पिन (व्यक्तिगत पहचान संख्या) चुराने के तरीके भी ईजाद किए, यहाँ तक कि जानकारी हासिल करने के लिए नकली मनी मशीन भी लगाई. जवाब में, शहर और राज्य सरकारों ने 1996 में न्यूयॉर्क के एटीएम सुरक्षा अधिनियम जैसे कानून पारित किए, जिसके तहत बैंकों को अपने एटीएम के लिए निगरानी कैमरे, परावर्तक दर्पण और लॉक किए गए प्रवेश द्वार जैसी चीजें स्थापित करने की आवश्यकता थी.
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