जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन चुका है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ), स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 की वार्षिक रिपोर्ट ने एक बार फिर इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि कैसे साल 2022 में पर्वत चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक जलवायु परिवर्तन ने अपना दायरा बढ़ाया. सूखा, बाढ़ और हीट वेव ने भारत सहित हर महाद्वीप पर समुदायों को प्रभावित किया और इनसे निपटने के लिए कई अरब डॉलर खर्च किए गए. अंटार्कटिक समुद्री बर्फ अपने रिकॉर्ड में सबसे कम स्तर पर गिरी है.
द स्टेट ऑफ़ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 (The State of the Global Climate 2022) नाम की यह रिपोर्ट गर्मी सोखने वाली ग्रीनहाउस गैसों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के कारण भूमि, समुद्र और वातावरण में वैश्विक स्तर के बदलाव को दर्शाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले आठ वर्षों में वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड में सबसे अधिक रहा. यहां तक कि साल 2022 में ग्लेशियरों का पिघलना और समद्र के स्तर में वृद्धि फिर से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. पिछले आठ वर्षों में वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड में सबसे अधिक रहा है. साल 2022 में यह 1850-1900 के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर था.
रीयल-टाइम डेटा से पता चलता है कि तीन ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड के स्तर में 2022 में वृद्धि जारी रही. 2022 में वैश्विक औसत समुद्र स्तर में वृद्धि जारी रही, ला नीना की स्थिति जारी रहने के बावजूद, समुद्र की सतह के 58% हिस्से ने 2022 के दौरान कम से कम एक समुद्री हीटवेव का अनुभव किया. गर्मी के दौरान चीन और यूरोप में रिकॉर्ड तोड़ हीट वेव ने प्रभावित किया. भारत ने मानसून के मौसम के दौरान विभिन्न चरणों में बाढ़ देखी, विशेष रूप से जून में उत्तर-पूर्व में. इस मौसम के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से 700 से अधिक लोगों की मौत हुई, और बिजली गिरने से 900 से अधिक लोगों की मौत हुई.
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