संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकारी बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव पर भी सवाल पूछे. ये सवाल राहुल गांधी ने पूछा. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के इस सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा, देश के किसी भी सरकारी क्षेत्र के बैंक के निजीकरण को लेकर अभी कोई प्रस्ताव नहीं है. वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण के बाद प्रदर्शन अच्छा हुआ है. यह कंपनियां निजीकृत होने के बाद ज्यादा प्रॉफिट कमा रही है.
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने कहा, आईडीबीआई बैंक के निजीकरण को लेकर आर्थिक कार्य संबंधी कैबिनेट कमेटी (CCEA) 2021 में फैसला ले चुकी है. उसके बाद से गृह मंत्रालय और आरबीआई की जरूरी जांच के बाद अब सरकार बोली लगाने वाली कंपनियों की शार्ट लिस्टिंग कर रही है. सरकार ने कहा, आईडीबीआई बैंक की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार बेचना चाहती है, जिसमें से 30.48 प्रतिशत भारत सरकार और 30.24 प्रतिशत एलआईसी.
सरकार ने बताया कि बैंक का परिचालन लाभ साल दर साल बढ़ रहा है लेकिन बैंक पर बकाया पूंजी करीब 4.11 लाख करोड़ है. साल 2016 के मुकाबले 2025 में बैंक के परिचालन लाभ में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2016 में लाभ 5370 करोड़ था जो अब बढ़कर 11079 करोड़ हो गया है.
साल 2021 से आईडीबीआई बैंक के चल रही निजीकरण पर राहुल गांधी ने पूछा कि क्या कहीं सरकार बैंक के विनिवेश को आगे बढ़ाने की बजाय किसी अन्य सरकारी बैंक के साथ उसके विलय की कोई योजना तो नहीं है इसपर पंकज चौधरी ने कहा, अभी सरकार की बैंक के विनिवेश को रोकने की कोई योजना नहीं है. केंद्रीय कैबिनेट ने साल 2021 में जो फैसला बैंक को लेकर किया था वह जारी है.
बता दें की साल 2021-22 के बजट में केंद्र सरकार ने रणनीतिक विनिवेश नीति की घोषणा की थी. इसके तहत सरकार की योजना थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश से सरकार ने 1.75 लाख करोड़ के आय का अनुमान लगाया था. जिसके तहत ही बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड आदि जैसे कई कंपनियों में विनिवेश का प्रस्ताव किया था
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