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शीतकालीन सत्र में पारित हो पाएगा वक़्फ़ बिल या हो सकती है देरी ?

बिल की समीक्षा कर रही जेपीसी को शीतकालीन सत्र के पहले हफ़्ते के आख़िरी दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी है.यानि 29 नवंबर तक जेपीसी को अपनी रिपोर्ट पेश करनी है.

शीतकालीन सत्र में पारित हो पाएगा वक़्फ़ बिल या हो सकती है देरी ?
नई दिल्ली:

25 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार के एजेंडे में सबसे बड़ा मुद्दा वक़्फ़ बिल को पारित करवाना माना जा रहा है.हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी दोहराया कि सरकार शीतकालीन सत्र में ही बिल को पारित करवाने का इरादा रखती है.हालांकि सूत्रों का कहना है कि अभी ये साफ़ नहीं है कि शीतकालीन सत्र में ही बिल पारित हो पाएगा.

जेपीसी का बढ़ सकता है कार्यकाल

बिल की समीक्षा कर रही जेपीसी को शीतकालीन सत्र के पहले हफ़्ते के आख़िरी दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी है.यानि 29 नवंबर तक जेपीसी को अपनी रिपोर्ट पेश करनी है.कमिटी के सूत्रों का कहना है कि वो तय समयसीमा के भीतर रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं.हालांकि सूत्रों से एनडीटीवी को मिले संकेत के मुताबिक़ जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है.वैसे कमिटी के सूत्रों का कहना है कि कमिटी तय समयसीमा में अपनी रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर रही है.

ओम बिरला से मिले थे विपक्षी सदस्य

5 नवंबर को जेपीसी के कुछ विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाक़ात की थी.इन सदस्यों ने स्पीकर से जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायतें की थीं.सबसे बड़ी शिकायत ये थी कि बहुत जल्दी जल्दी कमिटी की बैठकें बुलाई जा रही हैं जिसके चलते उन्हें पूरी तरह तैयारी करने का मौका नहीं मिल पा रहा है.सदस्यों का कहना था कि स्पीकर ने उनकी शिकायतें दूर करने का भरोसा दिया है.

कमिटी को दौरा बीच में स्थगित करना पड़ा

जेपीसी 9 नवंबर से पांच राज्यों के दौरे पर निकली थी.इस दौरान कमिटी का असम , ओडिशा, बंगाल , बिहार और उत्तर प्रदेश के दौरे का कार्यक्रम था.हालांकि असम और ओडिशा का दौरा करने के बाद कमिटी का आगे का कार्यक्रम फ़िलहाल टाल दिया गया है.इसकी एक बड़ी वजह ये बताई जा रही है कि कमिटी में शामिल विपक्ष के सांसदों ने इस दौरे का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया.विपक्षी सांसदों का आरोप था कि लोकसभा स्पीकर से हुए मुलाक़ात के बाद भी उनकी शिकायतें दूर नहीं की गईं और दौरा भी तय कर लिया गए.इसके अलावा बीजेपी समेत कमिटी के कुछ सदस्य महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं जिसके चलते वो भी इस दौरे का हिस्सा नहीं बन सके.

कमिटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही 

हालांकि कमिटी के सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.कमिटी के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि उन्हें तय समयसीमा के भीतर रिपोर्ट पेश करने का पूरा भरोसा है और इसी दिशा में तेजी से काम हो रहा है.सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट का मसौदा तैयार होने के बाद कमिटी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें इसपर चर्चा की जाएगी.उधर विपक्ष के सांसद भी रिपोर्ट को लेकर अपना असहमति पत्र तैयार कर रहे हैं.

कमिटी कर रही है व्यापक विचार विमर्श

9 अगस्त को गठित होने के बाद जेपीसी की अबतक 25 बैठकें हो चुकी हैं जिनमें 146 अलग अलग संगठनों से राय ली जा चुकी है.सभी बैठकों को मिलकर कमिटी अभी तक 100 घंटों से ज़्यादा समय तक बैठ चुकी है.जिन संगठनों से राय ली गई उनमें मुस्लिम संगठनों के अलावा कई हिन्दू संगठन भी शामिल हैं.इसके अलावा लोगों और संगठनों से ऑनलाइन राय भी मांगी गई थी जिसके जवाब में कमिटी को 1.25 करोड़ से भी ज़्यादा ईमेल और लिखित ज्ञापन मिले थे.कमिटी ने सितंबर के आखिरी हफ्ते में गुजरात , महाराष्ट्र , तेलंगाना , तमिलनाडु और कर्नाटक की भी यात्रा की थी.यात्रा के दौरान कमिटी ने इन राज्यों के अलग अलग संगठनों और लोगों से उनकी राय ली थी.

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