पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने और उनकी फंडिंग करने को लेकर लगातार सवालों के घेरे में रहा है. इस कारण FATF समेत कई वैश्विक संस्थानों ने उस पर शिकंजा कसा था और उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और देशों से कर्ज मिलना मुश्किल हो रहा था. हालांकि चार साल ग्रे लिस्ट में रहने औऱ वैश्विक दबाव के बीच उसने संगठन द्वारा लगाई गईं तमाम शर्तों को पालन करने को मजबूर होना पड़ा. अब वो उम्मीद कर रहा है कि उसे ग्रे लिस्ट (संदिग्ध देश) की सूची से बाहर कर दिया जाएगा.
बर्लिन में मंगलवार को फाइनेंसियल एक्शन टॉस्कफोर्स ( Financial Action Task Force) की बैठक शुरू हो गई है, जो 17 तारीख तक चलेगी.
दुनिया भर के देशों में आतंकी फंडिंग की रोक थाम के लिए ये संस्था काम करती है. इस बार एक बड़ा ऐलान होने की पाकिस्तान को राहत की उम्मीद है. असल में पाकिस्तान जून 2018 से FATF से ग्रे लिस्ट में है. इसके कारण आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद उसे अधिकतर देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से ना कर्ज़ मिल रहा है न ही किसी प्रकार की मदद.
मार्च में पेरिस में हुए FATF की प्लेनरी बैठक में ये कहा गया था कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से हटने के लिए बताए गए 27 में 26 कदमों को लागू कर चुका है. इन ऐक्शन के लिए FATF ने जून 2018 में ही कहा था. लेकिन एक कदम जो पाकिस्तान इतने सालों में लागू नहीं कर पाया वो है, आतंकी फंडिंग की जांच और संयुक्त राष्ट्र के नामित आतंकी संगठनों के सीनियर कमांडरों पर कार्रवाई. हालांकि जून 2021 में हवाला के मामले में FATF की ओर से बताई गईं सात में से 6 शर्तें भी पाकिस्तान ने पूरी कर लीं.
हालांकि एक बड़ी वजह जिसके कारण पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से निकल सकता है वो ये कि लाहौर की आतंक विरोधी कोर्ट ने आतंकी फंडिंग के दो मामलों में आतंकी सरगना हाफिज़ सईद को 31 साल कारावास की सज़ा सुनाई. हालांकि FATF अधिकारी पाकिस्तान के उठाए गए कदमों की तस्दीक के लिए पाकिस्तान का दौरा भी करेंगे और आधिकारिक घोषणा अक्तूबर में हो सकती है.
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