लासलगांव एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है, यह महाराष्ट्र में है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टमाटर के बाद अब प्याज के दाम आसमान छूने लगे हैं. एशिया में प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का भाव दोगुना से अधिक होकर 25 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया. इसकी वजह पुराने स्टॉक की कम आपूर्ति और इस नई खरीफ फसल की ऊपज में गिरावट की संभावना है.
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सरकारी अनुसंधान संगठन एनएचआरडीएफ के आंकड़ों के हिसाब से इसी बाजार में सालभर पहले इस अवधि में प्याज का अधिकतम थोक भाव 9.20 रुपये प्रति किलो था. लासलगांव भारत में अन्य मंडियों में दाम का रुख तय करता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी प्याज के दाम बढ़ गए हैं.
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गुरुवार को इसकी कीमत 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम रही. नासिक के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के निदेशक पीके गुप्ता ने बताया कि फिलहाल आपूर्ति सीमित हो रही है. वर्तमान मांग की पूर्ति पुराने रबी मौसम के भंडार से हो रही है. यह भंडार निर्यात और मध्य प्रदेश से प्याज की सीमित आपूर्ति होने के चलते घट रहा है.
VIDEO: टमाटर के बाद प्याज़ के दामों में उछाल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्याज खरीदे जाने के कारण आपूर्ति घट गई है. इसके अलावा, खरीफ सीजन, 2017-18 में प्याज की ऊपज कम होने की संभावना है क्योंकि कम और देर से वर्षा होने तथा बुवाई के दौरान कम दाम रहने के चलते खासकर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्याज की खेती का क्षेत्र 30-40 फीसदी कम हो गई है.
(इनपुट भाषा से)
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सरकारी अनुसंधान संगठन एनएचआरडीएफ के आंकड़ों के हिसाब से इसी बाजार में सालभर पहले इस अवधि में प्याज का अधिकतम थोक भाव 9.20 रुपये प्रति किलो था. लासलगांव भारत में अन्य मंडियों में दाम का रुख तय करता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी प्याज के दाम बढ़ गए हैं.
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गुरुवार को इसकी कीमत 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम रही. नासिक के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के निदेशक पीके गुप्ता ने बताया कि फिलहाल आपूर्ति सीमित हो रही है. वर्तमान मांग की पूर्ति पुराने रबी मौसम के भंडार से हो रही है. यह भंडार निर्यात और मध्य प्रदेश से प्याज की सीमित आपूर्ति होने के चलते घट रहा है.
VIDEO: टमाटर के बाद प्याज़ के दामों में उछाल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्याज खरीदे जाने के कारण आपूर्ति घट गई है. इसके अलावा, खरीफ सीजन, 2017-18 में प्याज की ऊपज कम होने की संभावना है क्योंकि कम और देर से वर्षा होने तथा बुवाई के दौरान कम दाम रहने के चलते खासकर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्याज की खेती का क्षेत्र 30-40 फीसदी कम हो गई है.
(इनपुट भाषा से)
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