
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह के एक बयान ने बिहार में एनडीए हरकत में आ गया. दरअसल अमित शाह ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि बिहार में अगला चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा, इसका फैसला बीजेपी और जेडीयू की बैठक में लिया जाएगा. यह खबर बिहार पहुंची तो वहां राजनीतिक गलियारे में हलचल होने लगी.बैठकों का दौर चलने लगा. इन बैठकों के बाद कहा गया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे और मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे. बिहार में एनडीए के नेतृत्व को लेकर सवाल इसलिए भी उठाए जा रहे हैं, क्योंकि इससे पहले महाराष्ट्र में महायुति ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे के चेहरे पर चुनाव लड़ा. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम बने बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस.
अमित शाह के बयान के मायने
अमित शाह के बयान से पैदा हुई अनिश्चितता को दूर करते हुए बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि 2025 के चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का नेतृत्व करेंगे. उनका कहना था कि नीतीश के नेतृत्व पर एनडीए में कोई दो मत नहीं हैं. अब एनडीए का एक साझा अभियान चलाने की तैयारी की गई है. इसके तहत बिहार के सभी जिलों में एनडीए की संयुक्त बैठक आयोजित की जाएगी. इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संबोधित करेंगे. इसकी शुरुआत 15 जनवरी को पश्चिम चंपारण के बगहा से होगी. इसके बाद वो पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर में एनडीए की बैठक को संबोधित करेंगे. इस तरह के बैठकों का पहला दौर 22 जनवरी तक वैशाली में होनी वाली बैठक तक चलेगा.
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अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार में एनडीए के नेता का फैसला अभी नहीं लिया गया है.
नए साल के पहले ही हफ्ते में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भी बिहार का दौरा करने की खबर है. बिहार को लेकर बीजेपी कितनी सक्रिय है, यह इस बात से पता चलता है कि अमित शाह खरमास में ही बिहार का दौरा करने जा रहे हैं. इस दौरान वे पांच जनवरी को बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे सुशील कुमार मोदी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं. इसके अगले दिन छह जनवरी को वो बीजेपी नेताओं के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान एनडीए की एकजुटता को मजबूत बनाने पर भी चर्चा हो.
बिहार के लिए कितना जरूरी हैं नीतीश कुमार
दरअसल बिहार में बीजेपी यह जानती है कि एनडीए के लिए नीतीश कुमार अनिवार्य हैं. इसलिए चुनाव से पहले वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे वो नाराज हो जाएं. यही वजह थी कि अमित शाह के बयान के बाद बिहार बीजेपी के अध्यक्ष को आगे आकर यह कहना पड़ा कि 2025 के चुनाव में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे. राजनीति के जानकारों का कहना है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की अहमियत है, ऐसे में बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए तबतक इंतजार करना होगा, जब तक कि नीतीश कुमार खुद ही सक्रिय राजनीति से न हट जाएं. यही वजह है कि बीजेपी के साथ-साथ एनडीए में शामिल जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और चिराग पासवान की लोजपा को भी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार्य है.
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बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व को चिराग पासवान की एलजेपी का भी समर्थन हासिल है.
नीतीश कुमार को भी अपनी अहमियत पता है, इसलिए वो बड़े आराम से इस गठबंधन से उस गठबंधन में आते-जाते रहते हैं. बीजेपी ने 2000 में अपने नेताओं को दरकिनार कर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद ऑफर किया था. उस समय बीजेपी नेता कैलाशपति मिश्र ने कहा भी था कि बीजेपी कभी नीतीश कुमार की छाया से बाहर निकल नहीं पाएगी. बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार केवल एक हफ्ते ही मुख्यमंत्री रहे. लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में ही नीतीश ने खुद को बिहार के लिए अपरिहार्य बना दिया. यही वजह थी कि अक्तूबर 2005 में हुई विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को खुद ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना पड़ा था.साल 2010 चुनाव में भी नीतीश कुमार सबसे बड़ा चेहरा बने. उनकी नेतृत्व में एनडीए ने विधानसभा की 243 में से 206 सीटें जीत ली थीं. जेडीयू को 115 और बीजेपी को 91 सीटें मिलीं.
जूनियर होकर भी सीएम बने नीतीश कुमार
नीतीश कुमार 2015 के चुनाव से पहले 2013 में ही नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी वाले महागठबंधन में शामिल हो गए. इस चुनाव में आरजेडी-जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने 178 सीटें जीतीं. आरजेडी को 80 सीटें जीतने के बाद भी 71 सीटें जीतने वाले जेडीयू के नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार करना पड़ा. इसके बाद नीतीश ने 2017 में महागठबंधन को छोड़ दिया. नीतीश ने 2020 के चुनाव में एनडीए का नेतृत्व किया. इस चुनाव में बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिलीं. इसके बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार किया.लेकिन 2022 में नीतीश ने एक बार फिर एनडीए छोड़कर महागठबंध में शामिल हो गए. वो मुख्यमंत्री बनाए गए. इसके बाद अमित शाह को यहां तक कहना पड़ा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एनडीए के दरवाजे नीतीश कुमार के लिए फिर खोल दिए.

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने 12-12 सीटें जीती हैं.
अगले साल अक्टूबर-नवंबर तक होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह नीतीश कुमार के लिए भी जरूरी है कि वो अपनी स्थिति को मजबूत करें, क्योंकि विधानसभा में अभी भी वो बीजेपी से जूनियर हैं. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे ने नीतीश कुमार को एक बार फिर मजबूत बना दिया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने 12-12 सीटें जीती हैं. इस तरह से नीतीश कुमार एनडीए में अपनी अहमियत एक बार फिर बढ़ाने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए काफी अहम होने वाला है, क्योंकि इसी चुनाव से नीतीश कुमार का भविष्य तय होगा.
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