प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा देश के चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए सुखबीर सिंह संधू भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1988 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, और उत्तराखंड कैडर से ताल्लुक रखते हैं. सेवानिवृत्ति से पहले सुखबीर सिंह संधू उत्तराखंड के मुख्य सचिव तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं.
जिस समय वर्ष 2021 में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी गई, उस वक्त सुखबीर सिंह संधू ही राज्य के मुख्य सचिव थे. इससे पहले सुखबीर संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा मानव संसाधन एवं मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव की भूमिका भी निभा चुके थे. पंजाब के लुधियाना नगर निगम के कमिश्नर के तौर पर अपने कार्यों के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किए जा चुके सुखबीर सिंह संधू के पास अमृतसर के राजकीय मेडिकल कॉलेज से MBBS तथा गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी से इतिहास में परास्नातक की उपाधि तो है ही, वह कानून की डिग्री भी हासिल कर चुके हैं.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया के अंतर्गत विधि मंत्रालय के नेतृत्व में एक सर्च कमेटी शॉर्टलिस्ट तैयार करती है, और उसके बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाला नियुक्ति पैनल अंतिम निर्णय लिया करता है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री के अलावा भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता को होना चाहिए, लेकिन इसके बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधान न्यायाधीश के स्थान पर एक केंद्रीय मंत्री को नियुक्त करने का कानून पारित कर दिया. इस नए क़ानून को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स तथा कांग्रेस पार्टी की नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होने वाली है.
भारतीय निर्वाचन आयोग में दो आयुक्तों के पद तब रिक्त हुए थे, जब फरवरी में अनूपचंद्र पाण्डेय रिटायर हुए थे, और फिर हाल ही में अरुण गोयल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दे दिया.
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