केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भले ही गेहूं की सरकारी खरीद इस साल कम रही हो, लेकिन उसका इरादा गेहूं निर्यात (Wheat Export) पर किसी भी प्रकार के नियंत्रण लगाने का नहीं है. खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बुधवार को कहा कि कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन (wheat production) के अनुमान को 11.13 करोड़ टन से घटाकर 10.5 करोड़ टन किया है. उन्होंने फसल वर्ष 2021-22 में अनुमानित गेहूं उत्पादन और सरकारी खरीद में कमी को लेकर तमाम सवालों के जवाब दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि गेहूं के निर्यात पर किसी तरह का नियंत्रण लगाने का कोई मामला नहीं बनता है. अनुमान है कि गेहूं का प्रोडक्शन पहले के अनुमानित 1110 लाख मीट्रिक टन की जगह 1050 लाख मीट्रिक टन रहेगा.
जून में अर्जेंटीना से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का नया स्टॉक पहुंचेगा. इससे भारत से गेहूं के निर्यात पर दबाव कम होगा. इस साल गेहूं की सरकारी खरीद कम रही है क्योंकि निजी कंपनियों की खरीद ज्यादा हो रही है. आज किसानों को एमएसपी से ज्यादा पैसा मिल रहा है. इसलिए वह प्राइवेट खरीदार के पास जा रहे हैं खाद्य सचिव ने कहा, गेहूं का निर्यात हो रहा है उसमें कोई रुकावट नहीं है. सरकार इससे उलट निर्यातकों को अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया करा रही है. APEDA का एक डेलिगेशन कारोबारियों को लेकर विदेश जा रहा है.
पॉम ऑयल औऱ वनस्पति तेल की कीमतों में उछाल, महंगाई का एक और झटका लगा, जानें क्या है वजह
इंडोनेशिया द्वारा पॉम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के ऐलान से खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ने की आशंका का भी उन्होंने जवाब दिया. पांडेय ने कहा कि एडिबल ऑयल के भारी आयात और देश में उत्पादन की कमी की समस्या रातोंरात हल नहीं हो सकती. इंडोनेशिया सरकार द्वारा पॉम ऑयल( Palm Oil) के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध का असर मार्केट पर पड़ा है. लेकिन भारत के पास 40 से 45 लाख मीट्रिक टन का एडिबल ऑयल का स्टॉक है. जिन खाने-पीने के तेल में Palm Oil का इस्तेमाल होता है उनकी कीमतों पर इसका असर पड़ा. हमें उम्मीद है कि इंडोनेशिया सरकार जल्दी ही पॉम ऑयल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध हटा लेगी.
सरकार ने गेहूं उत्पादन 5.7 फीसदी घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया है. गर्मी के जल्द आने के कारण गेहूं का उत्पादन गिरा है. भारत का गेहं उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 में 109.59 मिलियन टन रहा था. सरकार की गेहूं खरीद वर्ष 2022-23 के विपणन वर्ष में 19.5 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है. खाद्य सचिव ने बताया कि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 55 लाख टन अतिरिक्त चावल वितरण का प्रावधान किया है.
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