हरियाणा के कई जिलों में सूखे की वजह से फसलों के पैदावार पर काफी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है. इसकी वजह से पशुपालकों को हाल के दिनों में पशुचारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए हरियाणा के कई जिलों ने गेहूं , धान, सरसों और ग्वार से बने सूखे चारे को ईंट-भट्ठे या गत्ते की फैक्ट्रियों को बेचने पर रोक लगा दी है. गेहूं की कम उपज के कारण कमी पशु चारे से लदे ट्रैक्टरों को दूसरे इलाकों में ले जाने से भी रोका जा रहा है.
बता दें कि गेहूं के भूसे का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है. लेकिन पशु चारे की कमी की वजह से पशुओं के रखरखाव पर भी व्यापक असर पड़ा है. बताया जा रहा है कि सूखे की वजह से गेहूं की पैदावार 4-8 क्विंटल प्रति एकड़ प्रभावित हुई है. कीमतें 300 रुपये से बढ़कर 700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. चार जिलों ने अब तक राज्य के बाहर गेहूं के भूसे की बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है.
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बताया जा रहा है कि इस बार पंजाब में भी गेहूं की कम पैदावार दर्ज की गई है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को केंद्र से बिना किसी मूल्य कटौती के राज्य से गेहूं की खरीद में मानदंडों में ढील देने का आग्रह किया है. पंजाब में गेहूं उत्पादकों के अनुसार, इस पैदावार समें काफी कमी देखने को मिली है. किसान गेहूं के हल्के और छोटे दाने को लेकर परेशान हैं. इसके साथ ही यूक्रेन-रूस युद्ध का असर गेहूं की बिक्री पर भी पड़ा है़. क्योंकि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक हैं.
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