पश्चिम बंगाल में गेंहू में व्हीट ब्लास्ट रोग फैल रहा है.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा से लगा हिस्सा जो नकली नोटों और मवेशियों की तस्करी तथा आईएसआई एजेंटों की घुसपैठ के लिए बदनाम रहा है, वह एक बार फिर अन्य कारण से बदनाम हो रहा है. इस बार एक घातक फंगस देश आया गया है जिससे गेहूं की फसल को खासा नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल के दो जिले मुर्शिदाबाद और नदिया में ‘व्हीट ब्लास्ट’ ने सैकड़ों हैक्टेयर में लगी गेहूं की फसल को प्रभावित किया है. ‘व्हीट ब्लास्ट’ का पता सबसे पहले 1985 में ब्राजील और लातिन अमेरिका के कुछ देशों में चला था जब 30 लाख हेक्टेयर में फैली फसल बर्बाद हो गई थी.
राज्य के कृषि मंत्री पूर्णेंदु बसु ने पुष्टि की कि ‘व्हीट ब्लास्ट’ रोग से दो जिलों. मुर्शिदाबाद और नदिया के आठ ब्लॉकों में करीब 800 हेक्टेयर प्रभावित हुआ है.
विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि करीब एक हजार हेक्टर क्षेत्रफल इस रोग की चपेट में आ गया है. पहली बार इसका पता फरवरी के आखिरी हफ्ते में मुर्शिदाबाद जिले के जालंगी खंड में चला. उन्होंने बताया कि जालंगी से यह दोमकल, रैनानगर-एक, नवादा और हरिहरपारा में फैल गया और इसने मुर्शिदाबाद जिले के 509 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगी गेहूं की फसल को खराब किया है.
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से नदिया जिले में इस रोग ने 500 हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान पहुंचाया है. बसु ने बताया कि राज्य सरकार इस रोग को फैलने से रोकने के लिए खड़ी फसल को जला रही है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक दल दोनों जिलों में पहुंच कर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मिल कर संयुक्त सर्वेक्षण कर रहा है. पिछले वर्ष पहली बार यह फंगस बांग्लादेश के रास्ते एशिया में आया था जहां उसने छह जिले में 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की फसल को बर्बाद किया था.
फसल विज्ञान प्रभाग (फसल विज्ञान) के उप महानिदेशक डा जीत सिंह संधू ने कहा कि बांग्लादेश के दक्षिणी जिलों में इसके फैलने के बाद आईसीआरए ने केन्द्र को इस मामले को ‘बेहद गंभीर’ करार देते हुए इससे निपटने के लिए रणनीति बनाने का सुझाव दिया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राज्य के कृषि मंत्री पूर्णेंदु बसु ने पुष्टि की कि ‘व्हीट ब्लास्ट’ रोग से दो जिलों. मुर्शिदाबाद और नदिया के आठ ब्लॉकों में करीब 800 हेक्टेयर प्रभावित हुआ है.
विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि करीब एक हजार हेक्टर क्षेत्रफल इस रोग की चपेट में आ गया है. पहली बार इसका पता फरवरी के आखिरी हफ्ते में मुर्शिदाबाद जिले के जालंगी खंड में चला. उन्होंने बताया कि जालंगी से यह दोमकल, रैनानगर-एक, नवादा और हरिहरपारा में फैल गया और इसने मुर्शिदाबाद जिले के 509 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगी गेहूं की फसल को खराब किया है.
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से नदिया जिले में इस रोग ने 500 हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान पहुंचाया है. बसु ने बताया कि राज्य सरकार इस रोग को फैलने से रोकने के लिए खड़ी फसल को जला रही है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक दल दोनों जिलों में पहुंच कर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मिल कर संयुक्त सर्वेक्षण कर रहा है. पिछले वर्ष पहली बार यह फंगस बांग्लादेश के रास्ते एशिया में आया था जहां उसने छह जिले में 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की फसल को बर्बाद किया था.
फसल विज्ञान प्रभाग (फसल विज्ञान) के उप महानिदेशक डा जीत सिंह संधू ने कहा कि बांग्लादेश के दक्षिणी जिलों में इसके फैलने के बाद आईसीआरए ने केन्द्र को इस मामले को ‘बेहद गंभीर’ करार देते हुए इससे निपटने के लिए रणनीति बनाने का सुझाव दिया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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