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मुश्किल में कांग्रेस! सपा-AAP का साथ, मगर 'ममता' अभी तक अलग... आगे क्या होगा?

कांग्रेस के लिए अभी भी पश्चिम बंगाल एक रहस्य बना हुआ है. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. ऐसे में कांग्रेस के लिए काफी मुश्किलें होने वाली है.

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मुश्किल में कांग्रेस! सपा-AAP का साथ, मगर 'ममता' अभी तक अलग... आगे क्या होगा?
महाराष्ट्र में एक और चुनौती, शिवसेना और NCP ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खो दिया है.

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे कांग्रेस के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. अभी तक INDIA खेमे के दो सहयोगी दलों के साथ ही कांग्रेस का गठबंधन हो पाया है. आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है, मगर कांग्रेस को NDA को रोकने के लिए अन्य सहयोगियों का साथ चाहिए. पश्चिम बंगाल में TMC अभी तक कांग्रेस के साथ नहीं आई है, महाराष्ट्र में भी अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस की आगे की रणनीति क्या होगी? आइए इस मामले को बेहद आसान भाषा में समझते हैं.

पश्चिम बंगाल अभी भी एक सवाल है?

कांग्रेस के लिए अभी भी पश्चिम बंगाल एक रहस्य बना हुआ है. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. ऐसे में कांग्रेस के लिए काफी मुश्किलें होने वाली है. ऐसा समझा जाता है कि अनुभवी नेता अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व वाली राज्य कांग्रेस इकाई ने लगभग 10 सीटों के लिए सौदेबाजी की है, लेकिन तृणमूल ने सिर्फ दो सीटों की पेशकश की. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. कांग्रेस 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, मगर टीएमसी सिर्फ 2 सीटें देना चाहती है. सीट शेयरिंग को लेकर पश्चिम बंगाल कांग्रेस तृणमूल पर दोष मढ़ रहे हैं.  अधीर रंजन चौधरी टीएमसी को 'मौकापरस्त' बता रहे हैं. ऐसे में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. 

कांग्रेस लगातार टीएमसी से संपर्क कर रही है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी अधीरंजन के बयान पर कह चुके हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अधिरंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि टीएमसी दुविधा में है, वे स्पष्ट रूप से गठबंधन के साथ अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं. अधिरंजन चौधरी ने कहा कि टीएमसी को अभी भी भाजपा से डर है. वे लोग ED और CBI की रेड से घबराए हुए हैं. ऐसे में वो बता नहीं रहे हैं कि INDIA गठबंधन के साथ हैं या नहीं.

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तृणमूल कांग्रेस कई मुद्दों पर कांग्रेस को बता चुकी है कि वे अकेले चुनाव लड़ना चाहती है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में ममता बनर्जी शामिल नहीं हुई थीं. ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि शुरू से ही टीएमसी पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है.

महाराष्ट्र के मन में क्या है?

INDIA गठबंधन के लिए महाराष्ट्र भी एक सवाल है. महाराष्ट्र में भी, इंडिया ब्लॉक ने अभी तक सीट-बंटवारे की योजना की घोषणा नहीं की है. कांग्रेस, शिवसेना (बालासाहेब उद्धव ठाकरे) और एनसीपी के शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट वाले महा विकास अघाड़ी के बीच चर्चा अंतिम चरण में है.

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आपकती जानकारी के लिए बता दूं कि महाराष्ट्र में अभी 48 लोकसभा की सीटें हैं. समझा जाता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गतिरोध पर ठाकरे से बात की है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से तीन- मुंबई दक्षिण मध्य, मुंबई उत्तर मध्य और मुंबई उत्तर पश्चिम पर चुनाव लड़ना चाहती है. कथित तौर पर ठाकरे राज्य में 18 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिनमें मुंबई की चार सीटें - मुंबई दक्षिण, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर पूर्व और मुंबई दक्षिण मध्य शामिल हैं. दोनों नेताओं ने गतिरोध से निकलने का रास्ता तलाशने के लिए एक घंटे तक बातचीत की.

महाराष्ट्र में तीन वरिष्ठ नेताओं - मिलिंद देवड़ा, अशोक चव्हाण और बाबा सिद्दीकी के बाहर होने से कांग्रेस को भी झटका लगा है.

राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा है कि गठबंधन के भीतर कोई असहमति नहीं है और जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी आगामी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगा. "एमवीए सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे के मुद्दे पर कोई असहमति या विवाद नहीं है. समन्वय की कमी के कारण अभी तय नहीं हो पा रहा है. कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा है कि महाराष्ट्र के लोग आने वाले चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों को उनकी जगह दिखाएंगे,

महाराष्ट्र में एक और चुनौती

महाराष्ट्र में इंडिया ब्लॉक के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि दो मुख्य पार्टियां, शिवसेना और एनसीपी अलग हो गई हैं और उनके नेता उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खो दिया है. एक बड़ा काम मतदाताओं के बीच उनके नए नाम और चुनाव चिन्ह के बारे में जागरूकता फैलाना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में, यह जान सकें कि उन्हें किस चुनाव चिन्ह पर वोट देना है.

एक बार सीट-बंटवारे को अंतिम रूप देने के बाद, तीनों दलों को भाजपा से मुकाबला करने के लिए संयुक्त अभियान शुरू करना होगा. चूंकि चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, वे बहुत ही कड़ी समय सीमा पर हैं.

कांग्रेस और आप सहमत

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को दिल्ली, गुजरात, गोवा और हरियाणा में सीट बंटवारे की घोषणा की जिसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में आप चार और कांग्रेस तीन सीट पर चुनाव लड़ेगी. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी गुजरात की भरूच और भावनगर सीट तथा हरियाणा की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ेगी. पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है, हालांकि चंडीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगी.

यूपी में कांग्रेस को सपा का साथ

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया है. लंबी जद्दोजहद के बाद बुधवार (21 फरवरी) को सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर समझौता हुआ. इसके तहत कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सपा चंद्रशेखर आजाद की 'आजाद समाज पार्टी' समेत कुछ छोटे दलों को अपने कोटे से सीट दे सकती है. यानी अखिलेश यादव और सपा को तय करना है कि गठबंधन में सपा के साथ बाकी कौन सी पार्टियां 63 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.

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