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इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन यानी ISRO के लिए यह 'बड़ा' झटका है. जीएसएलवी-एफ 10 मिशन (GSLV-F10 Mission) को तकनीकी खराबी के कारण पूरा नहीं किया जा सका है. इसरो की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट, EOS-03 लॉन्च किया लेकिन तकनीकी खामी की वजह से यह सफल नहीं हो सका. अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट की मुख्य विशेषता यह है कि यह चिन्हित किये गए किसी बड़े क्षेत्र क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियां लगातार अंतराल पर भेजता रहता है.
मिशन से जुड़ी खास बातें..
दरअसल EOS-03 स्टेट ऑफ द आर्ट एजाइलक आब्जर्वेशन सैटेलाइट है जो जियोसिक्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट में जीएसएलवी एफ-10 रॉकेट से स्थापित किया जाना था.
इस अभियान का उद्देश्य लगातार अंतराल में बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर त्वरित निगरानी रखना तथा कृषि, वन संपदा, जल संसाधन पर निगरानी, इससे जुड़ी आपदा चेतावनी जारी करना, चक्रवात तथा बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में त्वरित जानकारी प्राप्त् करना था.
क्रायोजनिक इंजन की बात करें तो यह एक प्रकार का रॉकेट इंजन है और इस तरह का इंजन रॉकेट की एफिशियेंसी (क्षमता) बढ़ाने का काम करता है.
क्रायोजनिक तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से रॉकेटों में किया जाता है, इस तकनीक से ईंधन को द्रव्य अवस्था में प्राप्त किया जाता है. तकनीक में द्रव ऑक्सीजन और लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है.
लिक्विड ईंधन से चलने वाले इंजन में फ्यूल (ईंधन) को बेहद कम तापमान में भरा जाता है. ऐसे इंजन को ही क्रायोजनिक रॉकेट इंजन कहा जाता है.
लांचिंग के क्रायोजेनिक चरण में, प्रदर्शन में विसंगति देखी गई और मिशन के कामयाबी के साथ पूरे नहीं होने का यही अहम कारण रहा.
क्रायोजनिक इंजन में बेहद ठंडी वाष्पीकृत गैसों को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जाता है. ठोस ईंधन की तुलना में यह काफी शक्तिशाली होते हैं.लंबी दूरी और भारी रॉकेट के लिए क्रायोजनिक तकनीक की आवश्यकता होती है.
मिशन के कामयाब न होने के बाद इसरो ने ट्वीट में जानकारी दी,'IGSLV-F10 का प्रक्षेपण आज निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 0543 बजे IST पर हुआ. पहले और दूसरे चरण का प्रदर्शन सामान्य रहा. हालांकि, क्रायोजेनिक अपर स्टेज इग्निशन तकनीकी खामी के कारण नहीं हो सका. उद्देश्य के अनुसार मिशन को पूरा नहीं किया जा सका."'