प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शाहजहांपुर में करीब 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे (Ganga Expressway) की आधारशिला रखी. विकास और आर्थिक असंतुलन को दूर करने, रोजगार के अवसर पैदा करने और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की दृष्टि से इस एक्सप्रेस-वे को ऐतिहासिक बताया जा रहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक बयान में कहा कि देश भर में तेज गति से संपर्क प्रदान करने को लेकर प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि ही इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रेरणा रही है. इससे पहले पीएम मोदी ने पिछले महीने 16 नवंबर को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस (Purvanchal Expressway) का उद्घाटन किया था. गंगा एक्सप्रेसवे को भी उनकी गतिशक्ति योजना का हिस्सा माना जा रहा है.
क्या है गंगा एक्सप्रेस-वे?:
दिल्ली बॉर्डर से बलिया तक गंगा कि किनारे 1020 किलोमीटर में यह एक्सप्रेस-वे बनाए जाने का प्रस्ताव है. प्रोजेक्ट के पहले चरण में 594 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे मेरठ के बिजौली गांव के पास से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव तक जाएगा. इसकी पीएम मोदी ने आज आधारशिला रखी. इसे 36,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित किया जाएगा.
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पूरी तरह से निर्मित होने के बाद, यह राज्य के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ने वाला, उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बन जाएगा. प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से बलिया तक कुल 316 किलोमीटर लंबाई में बनाया जाना है. फेज -2 में ही दिल्ली के तिगड़ी से यूपी बॉर्डर तक 110 किलोमीटर में एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है.
गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में 3.5 किलो मीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी, जो वायु सेना के विमानों को आपातकालीन उड़ान भरने और उतरने में सहायता प्रदान करेगी. एक्सप्रेस-वे के साथ एक औद्योगिक गलियारा बनाने का भी प्रस्ताव है. एक्सप्रेस-वे पर ट्रॉमा सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव है. एक्सप्रेस-वे पर कई जगह हेडीपैड्स बनाने की भी योजना है, ताकि वहां से एयर एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की जा सके.
किन-किन शहरों को जोड़ेगा गंगा एक्सप्रेस-वे?:
यह एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा. इस एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी 518 ग्राम पंचायतों के 7368 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का करीब 96 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
पीएमओ ने कहा है, ‘‘गंगा एक्सप्रेस-वे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा. इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा.''
क्या है मायावती से कनेक्शन?:
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही सहसे पहले इस एक्सप्रेस-वे की कल्पना की थी. साल 2007 में जब मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तब उन्होंने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी, जो दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बिहार के नजदीक बलिया तक प्रस्तावित थी लेकिन एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी.
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साल 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ है. मायावती ने गंगा के किनारे-किनारे यह हाई-वे बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था. इसके 10 साल बाद मायावती की गलती से सबक लेते हुए योगी सरकार ने जनवरी 2019 में फिर से गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का ऐलान किया लेकिन यह गंगा के किनारों पर स्थित न होकर वहां से 10 किलोमीटर दूर बनाने का प्रस्ताव पास किया.
क्या हो रही सियासत?
उत्तर प्रदेश और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विधान सभा चुनावों से पहले जहां एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट, एम्स अस्पताल जैसे बड़े आधारभूत संरचनात्मक विकास वाली परियाजनाओं का ताबड़तोड़ शिलान्यास, आधारशिला और उद्घाटन कार्यक्रम कर रही है, वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी की सरकार पुरानी सरकारों की योजनाओं का फीता काट रही है.
गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी अखिलेश यादव ने कहा है कि यह परियोजना मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, योगी आदित्यनाथ या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं. एक तरह से यह बात सही भी है लेकिन वह अदालती उलझनों में रुका हुआ था, जिसे अब जाकर क्लियर किया गया है और पीएम मोदी ने आज उसकी आधारशिला रखी हैं. दरअसल, चुनावों से पहले विकास का श्रेय हर पार्टी अपने खाते में दर्ज कराना चाहती है, इसलिए इस पर राजनीति तेज है.
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