पश्चिम बंगाल की राजनीति में दशकों से ममता बनर्जी का अभेद्य किला रहे 'मुस्लिम वोट बैंक' में अब बड़ी दरार पड़ती नजर आ रही है. हालिया, घटनाक्रमों और जमीनी रिपोर्टों के अनुसार, मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ एक नया मोर्चा तैयार हो रहा है. इस असंतोष को हवा दी है TMC से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने, जिन्होंने न केवल 'बाबरी मस्जिद' बनाने का ऐलान किया है, बल्कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा भी कर दी है.
हुमायूं कबीर का 'बाबरी' दांव और नया राजनीतिक विकल्प
मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर हजारों की भीड़ के बीच हुमायूं कबीर ने एक नई मस्जिद की नींव रखी. उन्होंने इसे "मुसलमानों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई" करार दिया है. कबीर ने घोषणा की है कि वे 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी बनाएंगे और राज्य की 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. ओवैसी के साथ उनकी बातचीत फाइनल हो चुकी है, जिससे यह साफ है कि आने वाले चुनावों में मुस्लिम वोटों का भारी विभाजन होने वाला है.
क्या कहते हैं 2024 के आंकड़े?
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 74 मुस्लिम बहुल सीटों (40-90% आबादी) पर TMC का प्रदर्शन मजबूत रहा (54 सीटों पर बढ़त), लेकिन मालदा और मुर्शिदाबाद में जमीन खिसकती दिख रही है. मालदा की 8 मुस्लिम बहुल सीटों में से कांग्रेस 6 पर आगे है, जबकि भाजपा ने 2 सीटों पर बढ़त बनाई है. मुर्शिदाबाद की 11 मुस्लिम बहुल सीटों में से TMC केवल 5 पर सिमटी है, जबकि शेष सीटों पर कांग्रेस, भाजपा और वामदलों का कब्जा है.
मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी के प्रमुख कारण
रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम युवाओं और स्थानीय लोगों में ममता सरकार के प्रति असंतोष के कई कारण उभर कर आए हैं. मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग अब महसूस करता है कि ममता बनर्जी उन्हें भाजपा के नाम पर डराकर वोट लेती रही हैं. जगन्नाथ और महाकाल मंदिरों के निर्माण के फैसले ने कट्टरपंथी और रूढ़िवादी मुस्लिम मतदाताओं के एक हिस्से को नाराज किया है.
मालदा-मुर्शिदाबाद के युवाओं में बेरोजगारी और पलायन एक गंभीर मुद्दा है. उनका मानना है कि सरकार विकास के बजाय केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है. दिलचस्प बात यह है कि मालदा जैसे इलाकों में मुस्लिम युवाओं ने विकास के मुद्दे पर भाजपा को वोट देने की बात स्वीकार की है, जिससे ध्रुवीकरण की पुरानी परिभाषाएं बदलती दिख रही हैं.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा है कि अब मुसलमानों को ममता के खिलाफ अपनी आवाज उठानी चाहिए क्योंकि उन्होंने अल्पसंख्यकों का सिर्फ इस्तेमाल किया है. दूसरी ओर, TMC ने इसे सिरे से खारिज किया है. पार्टी का कहना है कि वे सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते हैं और कोई भी 'बांग्ला विरोधी' पार्टी TMC के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाएगी.
22 दिसंबर को हुमायूं कबीर की नई पार्टी की घोषणा के साथ ही बंगाल की राजनीति में "तीसरी ताकत" का उदय होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है, जो सीधे तौर पर ममता बनर्जी के सत्ता संघर्ष को कठिन बना सकती है.
अब कबीर ने 22 दिसंबर को अपनी पार्टी बनाने का फैसला किया है और AIMIM के साथ हाथ मिलाएंगे. NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी की घोषणा करूंगा और 135 सीटों से उम्मीदवार उतारूंगा. TMC देखेगी कि तब क्या होगा. मेरी ओवैसी से बात हुई है. हम आने वाले चुनाव में AIMIM के साथ चुनाव लड़ेंगे और बंगाल चुनाव में निर्णायक कारक बनेंगे.
आंकड़ों से पता चलता है कि 74 मुस्लिम बहुल सीटों में से तृणमूल 54 सीटों पर आगे है, भाजपा 8 सीटों पर, कांग्रेस 11 सीटों पर और CPIM 1 सीट पर आगे है. इन मुस्लिम बहुल सीटों में TMC का 46.18 प्रतिशत वोट शेयर है, जहां अल्पसंख्यक आबादी 40 से 90 प्रतिशत के बीच है. 2024 लोकसभा नतीजों के अनुसार, बीजेपी को 25.99 प्रतिशत और लेफ्ट-कांग्रेस को 21.06 प्रतिशत वोट मिले हैं.
दिलचस्प बात यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार, मालदा जिले में बीजेपी 6 विधानसभा सीटों पर आगे है और लेफ्ट+कांग्रेस भी 6 विधानसभा सीटों पर आगे है. टैली यह भी दिखाती है कि मालदा की आठ विधानसभा सीटों में से जहां मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत से ज़्यादा है, वहां कांग्रेस 6 सीटों (चांचल, हरिश्चंद्रपुर, मालतीपुर, रतुआ, मोथाबाड़ी, सुजापुर) पर आगे है और बीजेपी मानिकचक और बैष्णवनगर सीटों पर आगे है.
हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज करने के बाद, BJP ने चुनाव आयोग (EC) के चुनावी सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) पर कड़ा रुख अपनाया था, यह दावा करते हुए कि यह प्रक्रिया बांग्लादेश सहित "घुसपैठियों" को खत्म कर देगी, जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मुसलमानों को निशाना बनाकर उनके नाम हटाए जा रहे हैं. लेकिन जैसे ही EC पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में अपनी SIR प्रक्रिया शुरू कर रहा है, बंगाल में BJP ने नरम रुख अपना लिया है, यह कहते हुए कि पार्टी "राष्ट्रवादी मुसलमानों के खिलाफ नहीं है."
मालदा के लोगों ने BJP को वोट देने का साहस दिखाया है. NDTV ने मालदा इंग्लिश बाज़ार इलाके में कई आम मुसलमानों से बात की, जिसे मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है, जहां कई लोगों ने कहा कि अगर BJP उनके लिए काम करती है तो वे उसे वोट देने के लिए तैयार हैं और इस बार मुसलमान उसी पार्टी को चुनेंगे जो विकास के लिए काम करेगी, न कि वोट बैंक की राजनीति के लिए.
मुस्लिम युवाओं ने कहा कि आने वाले चुनावों में बेरोज़गारी एक अहम मुद्दा होगा. कई लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें एहसास हो गया है कि ममता हमेशा BJP के नाम पर मुसलमानों को डराने की कोशिश करती हैं. इस बार वे ममता को ऐसा नहीं करने देंगे.
मालदा की इंग्लिश बाज़ार सीट की बात करते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव के अनुसार BJP को 58.86 प्रतिशत वोट मिले हैं. तृणमूल को 15.53 प्रतिशत. लेफ्ट+कांग्रेस को 22.52 प्रतिशत. 2024 के चुनावों के अनुसार, BJP इंग्लिश बाज़ार में लगभग 83 हज़ार वोटों से आगे है. बाबरी मस्जिद विध्वंस के 33 साल बाद, निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर द्वारा "बाबरी मस्जिद" कहे जाने वाले स्थान पर नींव रखने के बाद बंगाल की राजनीति में विवाद खड़ा हो गया है.
बाबरी के लिए ईंटों के साथ यहां जमा हुए हजारों मुसलमानों ने ममता के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि इस बार वे ममता को सबक सिखाएंगे.
मुस्लिम वोट बैंक के ममता के खिलाफ जाने के मुख्य कारण क्या हैं
- मालदा मुर्शिदाबाद के मुसलमान ममता के हिंदू होने से नाखुश थे, क्योंकि उन्होंने जगन्नाथ और महाकाल मंदिर बनाने का फैसला किया है. मुसलमानों के एक छोटे से वर्ग को लगता है कि उनके साथ धोखा हो रहा है.
- कई लोगों ने महसूस किया है कि ममता हमेशा BJP के नाम पर मुसलमानों को डराने की कोशिश करती हैं और वह SIR के मामले में भी ऐसा करने की कोशिश कर रही हैं, जिसे मुसलमानों ने समझ लिया है.
- TMC के निचले स्तरों पर अंतहीन भ्रष्टाचार चिंता का विषय बन रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद मालदा मुर्शिदाबाद में TMC का कमजोर आधार.
- इस बार मालदा और मुर्शिदाबाद के TMC से असंतुष्ट मुसलमान थोड़ा कांग्रेस की ओर झुक गए हैं और यह हाल के दिनों में अधीर के अपने गढ़ में लगातार प्रयासों का नतीजा है.
- पलायन एक बड़ी समस्या है. मालदा मुर्शिदाबाद के गांवों के पुरुष देश से बाहर या राज्य से बाहर काम कर रहे है. घर से दूर. ममता उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में विफल रही हैं.
- मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग यह भी देख रहा है कि BJP शासित राज्यों में अल्पसंख्यक नाखुश नहीं हैं.
- विपक्ष के नेता ने मुस्लिम वोटों पर कहा है, "मालदा और मुर्शिदाबाद जिले के मुसलमानों को ममता के खिलाफ आगे आना चाहिए और उनके खिलाफ वोट देना चाहिए. उन्हें अपनी आवाज उठानी चाहिए, ममता को वोट नहीं. ममता बनर्जी ने मुसलमानों को धोखा दिया है. BJP बहुत पारदर्शी है. हम जानते हैं कि एक प्रतिशत से भी कम मुसलमान हमारे पक्ष में वोट देते हैं. लेकिन अब समय आ गया है कि उन्हें ममता बनर्जी के खिलाफ बोलना चाहिए, क्योंकि वह बार-बार उनका इस्तेमाल कर रही हैं."
- TMC नेता मालदा के सौमित्र रॉय ने कहा है, "BJP या कोई अन्य पार्टी कोई भी वोटर हासिल नहीं कर पाएगी, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान. BJP बांग्ला विरोधी पार्टी है. इसलिए कोई भी उसे वोट नहीं देगा. TMC मंदिर, मस्जिद और चर्च के लिए खड़ी है
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं