कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्टून विवाद के बाद प्रोफेसर की गिरफ्तारी का मामला गर्माया और अब सीआईडी ने फेसबुक को लिखकर कहा है कि ममता बनर्जी का विवादास्पद कार्टून साइट से हटाएं।
बंगाल की सीआईडी ने फेसबुक से कहा है कि वह अपनी साइट से वह चारों चित्र हटाए जिसमें सीएम ममता बनर्जी का मजाक उड़ाया गया है।
सीआईडी ने फेसबुक से उस कंप्यूटर का आईपी पता भी पूछा है जिसके जरिए फेसबुक पर यह आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड की गई हैं। इन तस्वीरों में वह कार्टून नहीं है जिन्हें जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्रा ने बनाया था। प्रोफेसर महापात्रा को इस कार्टून के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस घटना की पूरे प्रदेश के अलावा देशभर में निंदा हुई थी। तमाम राजनीतिक दलों ने इस प्रकार की शासन प्रणाली की कठोर निंदा की थी।
जानकारी के अनुसार बंगाल की सीआईडी ने एक नागरिक द्वारा शिकायत पर 12 अप्रैल को यह कदम उठाया है। उस नागरिक ने कहा कि उसे यह तस्वीरें आपत्तिजनक लगीं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस तरह की शिकायतों पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स लिखना एक आम बात है लेकिन किसी भी पुलिस द्वारा कंप्यूटर आईपी एड्रेस बताने के लिए कहना अपने आप में किसी सरकार द्वारा पहली बार किया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्टून विवाद के बाद प्रोफेसर की गिरफ्तारी का मामला गर्माया और अब सीआईडी ने फेसबुक को लिखकर कहा है कि ममता बनर्जी का विवादास्पद कार्टून साइट से हटाएं।
बंगाल की सीआईडी ने फेसबुक से कहा है कि वह अपनी साइट से वह चारों चित्र हटाए जिसमें सीएम ममता बनर्जी का मजाक उड़ाया गया है।
सीआईडी ने फेसबुक से उस कंप्यूटर का आईपी पता भी पूछा है जिसके जरिए फेसबुक पर यह आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड की गई हैं। इन तस्वीरों में वह कार्टून नहीं है जिन्हें जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्रा ने बनाया था। प्रोफेसर महापात्रा को इस कार्टून के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस घटना की पूरे प्रदेश के अलावा देशभर में निंदा हुई थी। तमाम राजनीतिक दलों ने इस प्रकार की शासन प्रणाली की कठोर निंदा की थी।
जानकारी के अनुसार बंगाल की सीआईडी ने एक नागरिक द्वारा शिकायत पर 12 अप्रैल को यह कदम उठाया है। उस नागरिक ने कहा कि उसे यह तस्वीरें आपत्तिजनक लगीं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस तरह की शिकायतों पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स लिखना एक आम बात है लेकिन किसी भी पुलिस द्वारा कंप्यूटर आईपी एड्रेस बताने के लिए कहना अपने आप में किसी सरकार द्वारा पहली बार किया गया है।
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