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कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर केंद्र सरकार के अध्यादेश में जस्टिस वर्मा की 90 फीसदी सिफारिशों को मान लिया गया है। कानून मंत्री का मानना है कि यह अध्यादेश आरोपियों को जल्द सजा दिलाने में मददगार साबित होगा।
हालांकि कुछ महिला संगठन सरकार के अध्यादेश को धोखा करार दे रही हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर केंद्र सरकार के अध्यादेश में जस्टिस वर्मा की कई सिफारिशों को मान ली गई हैं, जबकि कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें सरकार ने शामिल नहीं किया है। ऐसे में कुछ महिला संगठन इस बात की मांग कर रहे हैं कि विवाह के बाद पत्नी के साथ यौन हिंसा को भी रेप माना जाए और इसके लिए सजा का प्रावधान हो।
इसके अलावा सरकार के अध्यादेश का इस बात पर भी विरोध हो रहा है कि कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में जहां सेना को विशेष अधिकार मिले हैं, वहां सुरक्षाकर्मियों पर यौन अपराधों के खिलाफ मामला चलाने के लिए विशेष इजाजत लेनी होगी, जबकि जस्टिस वर्मा आयोग ने इसको हटाए जाने की सिफारिश की थी।
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